Saturday, June 29, 2019

शायर

वो छोड़ कर जाते जाते कह गयी
तुमको तन्हा ही छोड़ जाऊँगी यहाँ
मैनें कहा कलम जब तक है मेरे साथ मैं तन्हाँ हूँ ही कहाँ

©©शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश भारत

ये पैगाम देता हूँ
तेरा नाम देता हूँ
साहब! आज से छोड़ता हूँ तेरा हाथ "इश्क"
ये सरेआम कहता हूँ ..

`•शिवम अन्तापुरिया

ये जो दिल के रिश्ते हैं
तोड़ा जा नहीं सकता
   जो हैं प्रेम पंछी
उन्हें उड़ाया जा नहीं सकता

~शिवम अन्तापुरिया

वो मोहब्बत को कर गई
सरेआम थी,
वो मोहब्बत में हो गई
नाकाम थी,

©®शिवम अन्तापुरिया

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