Monday, June 10, 2019

कविता

*समस्याओं ने घेरा*

समस्याओं ने मुझे
  इस भाँति घेरा
रात सा दिन हो गया
   शाम सा लगने
     लगा सवेरा

न डरा और न रुका
  मैं चल दिया हूँ
   उससे लड़ने अकेला
थामा जो साहस का दामन
    तो बढ़ गया
   हौंसला फिर मेरा

कील कंकड़ पत्थरों ने
  रोकना चाहा मुझे
रूक सका न मैं कहीं
मैं डरा अंधकारों से नहीं
   हो गया है कारगर
जब सारी दुनियाँ से
हूँ जंग मैं लड़ा

कवि शिवम अन्तापुरिया
उत्तर  प्रदेश

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