Saturday, December 29, 2018

देश भक्ति पर कविता

            ''शान बनाए रखना''

भारत में सुन्दरता बहती है
नदियाँ भी गीत सुनाती हैं
ये देश है वीर जवानों का
जिसका दुनियाँ गुण गाती है,

रंग रूप बदलते रहते हैं
     अंजाम बदलते रहते हैं
भारत सोने की चिङिया है
  सोने सी ही चमक वो रखते हैं,

  भारत को रंगीन बनाया है
   वीरों ने अपना लहू बहा करके
इसकी शान बनाए रखना है
           अपना शीश कटा करके,

देशभक्ति से ओत-प्रोत
     हम सब भारतवासी हैं
दुश्मन को धूल चटाने को
       हम अकेले ही काफी हैं,

~ युवा लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया

जिंदगी और मौत की वार्तालाप

.जिंदगी से मौत और मौत से जिंदगी की वार्ता.

मौत जिंदगी से हँसकर बोली
अरे री मैं हूँ तेरी सहेली,

दुनियाँ हमसे करती है नफरत
पर तुमको बना लेती है पहेली,

जिंदगी के मेरे जीवन कुछ
   इरादे और ख्वाब होते हैं
   तेरी वजह से जीवन के
हर वादे भी पूरे नहीं होते हैं,

मौत ने कहा मैं गरीब-अमीर
दोनों को समान देखती हूँ
तुम दोनों को भिन्नता से,

आखिर दुनियाँ का कङुवा
    सच तो मैं हूँ...
बस यही कारण है
मुझे लोग दुतकारते हैं
   तुम्हें पुचकारते हैं,

मनुष्य से सम्मान
पाने के बाद भी..
तुम उन्हें वो जगह
नहीं दे पाती हो,

दुतकारने के बावजूद भी
मैं उन्हें स्वर्ग पहुँचा देती हूँ...

~ युवा कवि/लेखक
शिवम यादव अन्तापुरिया

शायर जीवन पर

न लाख मेरा होगा, न एक मेरा होगा
बस कुछ कर दिखाने वालों में
          नाम मेरा होगा....

शायर शिवम यादव अन्तापुरिया

क्या नाम दूँ

         ! क्या नाम दूँ !

   क्या किसी को नाम दूँ
एक न एक दुःखङा उसके नाम है,

कोई हँसकर काटता है
कोई पिए मुसीबत का
       जाम है,
ढलता सूरज जिस तरह
जिंदगी उसका नाम है,

दर्दोंषको हँसकर हैं
सहते
साहस इसी का नाम है,

है किसी का काम अच्छा
   तो किसी का नाम है,

    रहता है वो भी यहीं पर
   लेकिन वो तो
अपने कारनामों से बदनाम है,

   ~ लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया
मुश्किल में कविराय

* गजल *

               । चल दिए हम।

चल दिए हम घूम करके
           लक्ष्य को पाने को....-2

न मिला है वो किनारा
          दूर तक जाने को
था अजीब वो वक्त मेरा
           तुमको भूल जाने को
चल दिए हम घूम करके
            लक्ष्य को पाने को....-2
था मुकम्बल मुझको पाना
           चाहें कहो मिटाने को
रो रोकर हँसने लगे
        प्यार तेरा निभाने को
चल दिए हम घूम करके
    लक्ष्य को पाने को...-2
जीत में भी हार ले ली
           तेरा दिल बचाने को
दर्दों से नाता जोङा
   तुमको सुकूँ दिलाने को
चल दिए घूम करके
       लक्ष्य को पाने को...-2
दर्द भी हटता नहीं
     बिन मरे जल जाने को
चल दिए हम घूम करके
          लक्ष्य को पाने को...-2

~  लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया

शायर

तसल्ली पाकर भी सुकूँ नहीं मिला ।
हौसलों ने मुझे रूकने भी नहीं दिया ।।

    काँच के महल में झरोखे दिखने लगे
ऐसा मुकाम ही क्या जो "अन्तापुरिया" अपने
            बिछङने लगे,

Thursday, December 27, 2018

ठोस कदम न्यूज अखबार में प्रकाशित मेरे लेख व कविताएँ

कविता

            '' मुशाफिर हूँ ''

मैं मुशाफिर हूँ, न रूकता हूँ
बस चलता हूँ, न ठहरता हूँ,

तेरे कदमों की आहट से
बस मैं तो सिसकता हूँ,

ठिकाना है न मंजिल है
मुझे बस चलते जाना है,

न रोता हूँ न हँसता हूँ
महज गीत के तारों से
दुनियाँ को आजमाता हूँ,

  न नजरें मिलाता हूँ
न किसी से टकराता हूँ
बस अपनी मंजिल को पाने को
ये गीत गुनगुनाता हूँ,

मुशाफिर हूँ, मैं घायल हूँ
न ही मरहम लगाता हूँ
कुछ शब्दों की सीढ़ी से
गहराईयों में उतरता जाता हूँ,

   युवा
लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया

कविता मुश्किल डगर मनुष्य के जीवन पर आधारित

             कविता
     «मुश्किल डगर»

ये समस्याओं के शहर में
   हम घिरे अकेले हैं
    मजबूर हूँ इतना खुद से
फिर भी घुट घुटकर जी रहे हैं,

पाँव चलते नहीं हाथ रूकते नहीं
बेवस होकर बेवसी को लिख रहे हैं

जिंदगी और भगवान मिलते जुलते
    शब्द मुझे लगते हैं
मानों चिंताओं ने पाला है मुझे
चिंता में अब भी पल रहें हैं

ये जीवन है कठिनाइयों का
संभल संभलकर है चलना क्योंकि
मुश्किल डगर से गुजर रहे हैं

युवा कवि/लेखक
~ शिवम यादव अन्तापुरिया

मुश्किल में कविराय शिवम

          « जिंदगी »

    हँसी भी आ जाती है
आँखों में नमी भी आ जाती है
आखिर जिंदगी मेरे लिए ही
कष्ट क्यों ढूँढकर लाती है,

हैरान हूँ जीवन की क्रियाओं से
   एक तरफ आर्थिक तंगी,
सोच तो बहुत दूर की लेता हूँ
   मगर जिंदगी ठहरी वहीं
मुश्किलों के टापू पर घिरी
         ही नजर आती है,

ऐसे वक्त से जद्दोजहद चल रही है
    हजारों की भीङ में
मुश्किल सिर्फ मुझे ही अपना
         निशाना बना रही है,

    खैर फिर भी ये जीवन है
मुश्किलों ,कठिनाइयों से गुजरकर
           कुछ न कुछ
सीख तब भी मिलती जा रही है,

        ~ युवा लेखक
मुश्किल में कविराय शिवम यादव अन्तापुरिया

कुछ कष्ट ऐसे होते.....

     "विराम क्यों"
 
कुछ कष्ट ऐसे होते हैं
   हम मरते नहीं
मरजाद पर पहुँच जाते हैं
लोग संभलते तो कम हैं
बिगङते चले जाते हैं
जीवन के मायाजाल में
हम क्यों उलझते जाते हैं
दुनियाँ में जब किसी
और का खौफ नहीं
फिर हम खुद से क्यों
        डरते जाते हैं
जीवन की डोर को हम
मुश्किलों की तरफ क्यों
         खींचते जाते हैं
वो सही है सत्यमार्ग पर है
उस पर वो जब चलते नहीं
     तो विराम
              क्यों लगाते हैं ?

    ~ युवा कवि/लेखक
मुश्किल में कविराय शिवम यादव अन्तापुरिया

कैदियों के ऊपर रहम किया जाए मुश्किल में कविराय

      "जेल है सुधार आश्रम"

कैद क्या होती है
     कैदी से पूछो
बेटे की भूख क्या होती है
           माँ से पूछो
    ऐ लाॅयर तुम्हें क्या पता
क्या बीतती है कैदी के परिवार पर
जरा खुद कैदी बनकर फिर
            अपने आप से पूछो

तुम हो क्या मुझे नहीं पता
तुम मुझसे खेल क्या रहे हो
                  ये मुझसे पूछो
हिम्मत रखो 'कैदीराय'
वो दिन भी नजदीक आएगा
         कि कैदमुक्त हो जाओगे
जेल नहीं सुधारआश्रम है ये
      आजादी की तकलीफ है ये
कैद तो अटल जी भी हो गए थे
     क्यों हुए ये राजनीति से पूछो
         ~ युवा लेखक/कवि
मुश्किल में कविराय शिवम यादव अन्तापुरिया

Thursday, December 13, 2018

राजनीतिक दखल से बढ़ती मुश्किलें

आजकल देश की जनता और धर्म के रक्षक कैसे हैं?
जैसे हलवाई की दुकान पर कुतिया पहरेदार हो और दादुरों की सभा का सेनापति सर्प हो .....
सोचो कैसे सब संभलेगा मेरे ख्याल से तो कभी नहीं,

यहाँ हो रहा राजनीति का दखल...

अब तो न्यायालय ही माँग रहा है न्याय
जनता को कैसे मिलेगा न्याय
सभी अदालतें लगती हैं राजनीति के अधीन
मानों अदालत बन बैठी हैं राजनीति की रखैल
अब सुनो सीबीआई अफसरों के हाल

राजनेता जिनके हाथों में
धर्म की बागडोर दे बैठे हैं
वही अस्थाना और वर्मा
   रिश्वत का माला पहन
एक-दूसरे की खींचा तानी
       कर बैठें हैं,
जिनके हाथ में धर्म के तराजू दिखते हैं
वही घटतौली को धर्म बनाए बैठे हैं,
एक दूसरे पर दोनों आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं,दोनों के मंसूबे क्या जो समझ मेरे नहीं आते हैं,

      बढ रहा है अधर्म
क्योंकि धर्म की आङ में अधर्म हो रहाहै इसलिए इसकी जङे मजबूत होती जा रहीहै
अधर्मी को रोका नहीं बल्कि बढ़ावा दिया जा रहाहै,

अधर्म क्या है ?
जहाँ जनता की दर्द भरी आवाज, कराह! को दबाया जा रहा हो और एक खुशहाल नेता की जुमलेबाकी को अखबारों की पहली खबर का नाम दिया जा रहा हो,
और हाँ गिरते हुए को उठाया नहीं बल्कि नजरअंदाज किया जाता हो,
फिसलते हुए को संभाला नहीं और एक धक्का जरूर दिया जा रहा हो,
सच्चाई को झूठ के वजन के नीचे दबाया जा रहा हो,  झूठ को सत्य साबित किया जा रहा हो यही अधर्म के लक्षण हैं ये सब कहाँ हो रहाहै आप समझ रहे हैं,

दुष्कर्मों पर बस इतना ही कहूँगा..?

शिवम शायद उस दिन संविधान की हथकङियों का ताला खोला जाएगा,
जिस दिन किसी राजनेताओं या उद्योगपति  की
लङकियों का जिस्म निचोङा जाएगा,

जवानों की रक्षा का पुख्ता इंतजाम का हवाला देकर आपका भारी भाषण सोभा नहीं देता नेता जी,
क्योंकि
अगर आपको इतनी ही फिक्र होती तो सीमा पर जवान शहीद नहीं होते
उनके परिवार ऐसे नहीं बिखरते
सबसे ज्यादा जवान 2014-18 के बीच शहीद हुए हैं आखिर क्या इंतजाम हुआ है,
आंकङे बताते हैं विदेशों में भी, चार साल में खाङी में 28523 भारतीय की मौत पर क्या जबाव है आपका जिसमें साऊदी में ही 12828 की मौत हुई है क्या कोई असर भी पङा है विदेशों में आपके दौरों का भारतीयों की मौतें जरूर बढ़ी हैं,

एक नजर इस पर डालें

हर नेता की रैली कङी सुरक्षा से लैस सीसीटीवी कैमरे भी निगरानी करते हैं
तो क्या जिनके कंधों पर देश की रक्षा का बोझ रखा है उनकी सुरक्षा के लिए आप सभी भारतीय सीमाओं पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगवा सकते, शायद कैमरे इसलिए नहीं लगाए जा रहे क्योंकि इससे नेताओं का हीरोइन, ड्रग्स, सोने जैसे अवैध व्यापार रूक जाएँगे न तो क्यों सीना कूटते हो कि मुझे दुःख होता है जवान की शहादत पर, घङियाली आशूँ क्यों बहाते हो
देश के जो असली हीरो हैं उन्हें हीरो का दर्जा नहीं मिल रहाहै फुल्लङ गानों व झूठी फाइट करने वाले बाॅलीवुड के लोगों को देश का हीरो करार दिया जा रहा है जो बेहद निंदनीय है
सुनो हीरो का मतलब वीर होता है
तो वीर सैनिक है या फिल्म एक्टर
मेरा सभी भारतीयों से निवेदन है अपने फोन के वाॅलपेपर पर सैनिक की फोटो लगाए न कि फिल्म एक्टर की

सैनिकों के बोल...

   हम तो सो गए
भारत माँ की गोद में
बेटा रो रोकर राह ताकता
रहा मेरी फिर,
रोते हुए वो भी सो गया
अपनी विधवा माँ की गोद में,
माँ-पत्नी और बहनें तङपती हैं
चिल्लाती हैं अपने इकलौते की
शहादत में,
पिता फफकता रह जाता है
बुढापे के सहारे
अपने लाडले की
याद में,
और नेता संवेदना व्यक्त कर
भूल जाते हैं सैनिकों को अपने ऐसो
आराम के इंतजाम में,

~ शिवम यादव अन्तापुरिया
युवा कवि/लेखक

!!सरस्वती वन्दना!!

    प्रातः काल
*सरस्वती वन्दना*
*.........................*
शुभ प्रभाते सरस्वती
           दर्शनम् अहं करोति,
संसारम् वन्दनम् करोति
           त्वम चरणं नवायम् शीश
    हे! वीणावरवादिनी
   स्वीकारोक्ति मम् प्रथम प्रणामि,
           *..:.:.:.:.:.:.:.:.:.:*
           * .:::::::::::::::::*
  शिवम यादव रामप्रसाद सिंह "आशा"
"अन्तापुरिया"
की
लेखनी से
         

किसान दुर्दशा

हाँफ कर भी श्वाॅस लेता है
सब उगाकर भी
      भूखा सोचता है,
   मन उमङता है,
चिल्लाता है,
खुद को समझाता भी है,

क्योंकि सुनाने के लिए
कोई पास नहीं होता है
जिंदगी की दौङ में
दौङकर भी सबसे
पीछे रहता है,

हाँ हाॅफ कर भी श्वाॅस लेता है ।

पानी की जगह
     तपती धूप में
खून को पसीना
    बनाकर बहाता है,

जरा सी प्रकृति की मार में
   वो अपने हाथों में
कुछ नहीं बचा पाता है,

हे भगवान! पूँछता हूँ आपसे

क्यों होती किसानों
की दुर्दशा है
जबकि सारा संसार
उन्हीं पर टिका है

हाॅफ कर भी श्वाॅस लेता है ।।

युवा लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया

Sunday, December 9, 2018

"सुनो मेरी रनियाँ"

कैसन लागी मेरे इश्क की झङियाँ ।
    सुनो मेरी रनियाँ-सुनो मेरी रनियाँ ।।

प्यार में तेरे मर मिट जाएँ
       बिना तुहरे हम जी भी न पाएँ,
कब तू बनैलू हमरी दुल्हनियाँ-2

सुनो मेरी रनियाँ-सुनो मेरी रनियाँ......

बफाई मेरे रंग रंग में बसी है
      तेरे बिना जीना न जिंदगी है..
तेरे बिना कैसे लूँ अंगडाइयाँ-2

सुनो मेरी रनियाँ-सुनो मेरी रनियाँ....

प्यार मेरा लिए बैठा इश्क की कहानियाँ
तू अनजान क्यों बने मेरी रनियाँ..
सुनो मेरी रनियाँ-सुनो मेरी रनियाँ...

कैसन लागी मेरे इश्क की झङियाँ ।
सुनो मेरी रनियाँ-सुनो मेरी रनियाँ ।।

लेखक/कवि/शायर
    शिवम यादव अन्तापुरिया

Thursday, December 6, 2018

2..."इश्क है उसे"

46-खाँमखाँ प्यार में
        इश्क की आङ में
धोखा देने में वो  
  तुमको कामयाब हो गया,

47-इश्क पर इश्क में ऐसे ही नहीं मैनें लिखा है
इश्क में हजारों दफा मुझे धोखा भी मिला है,

48- वो समझता मैं उसके इश्क का
प्यासा अब भी हूँ
साहब!
हम तो भूल भी गए हैं
उससे कब इश्क किया था मैंने,

49- इश्क में न जाने कितने
आशियानें खाक हो गए
हजारों नजरें छुपाकर
  वो हमारे हो गए,

50-हँसकर उसका मेरे पास आना
नंगे पाँव दौङकर आना
इससे साबित होता
वो मेरी दीवानी है,

51-ये इश्क है क्या
जो कभी तन्हाँ क्यों नहीं
रहता है
फिर ये दो लोगों को बिछङ
क्यों जाने देता है,

52-इश्क में रात छोटी भी बङी
लगती है
जब बङी होती है
तब तो तन्हाइयाँ ही तन्हाइयाँ
होतीं हैं,

53-जब दिल से इश्क का खेल
हर कोई खेल लेता है
फिर ये राष्ट्रीय खेल घोषित
क्यों नहीं होता है,

54-चलो इश्क पर गम का
पहरा लगा दें या
गम पर ही इश्क का
पहरा लगा दें,

55-मेरा इश्क से यूँ ही नाता
नहीं हो गया है
वर्षों तङपा हूँ
तब जाकर वो मेरा हुआ है,

56-इश्क की दुनियाँ रंगीन
सी लगती है
इश्क मिलकर खो जाए
तो जिंदगी गमगीन
सी लगती है,

57-खासकर जब अपना
दोस्त ही धोखा देता है
ज्यादातर इश्क में भी
ऐसा ही होता है,

58-हाँ तारीफ करता हूँ
उसकी जो मेरे बिन न रहती थी
न जाने क्या हो गया उसको
अब मुझे दुश्मन समझती है,

59-वो इश्क की गली से
मैं गुजरा ही कब था
फिर भी मुझे उसने
इतने प्यार से देखा क्यों था,

60-वो दरम्याँ गुजर गए
इश्क से बेकरार होकर
हम भी बिगङ से गए
प्रेम में मशगूल होकर,

61-हर वक्त मोहब्बत का
घूँट पीकर जिंदा हूँ
मगर ऐसे इश्क में जिंदा
भी मुर्दा हूँ,

62-इश्क में हजारों यादें
दफन सी हो गईं
      वो जी तो रहा है
मगर उम्मीदें तो
     कफन सी हो गईं,

63-मुझे कुछ शायर भी
कायर से नजर आने लगे हैं
क्योंकि अब इश्क से धोखे
भी हाथ मिलाने लगे हैं,

64-वो इतना इश्क क्यों
          कर बैठा था मुझे
अब प्यार में इश्क के
पत्थर क्यों मारने लगा मुझे,

65-अपनाए इश्क जिसको
जिंदगी वो सफल हो गई
न मिले इश्क उसकी सूनी
राहें हो गईं,

66-इश्क के रोग का सिला
भारी बीमारी है
जिसे हुआ नहीं उसका
संघर्ष जारी है,

67-तूफानों को दरकिनार
करते जाएँगे
मोहब्बत में उनके पथ
हम बनते जाएँगे,

68-ओ जिंदगी अब इतना
परेशाँ न कर
मैं हार, थककर बैठने
वाला भी नहीं,

69-हर मंजिल में इश्क
की भरपाई करनी है
जो मुझसे नाराज है
उनकी परेशानी सुननी है,

70-इश्क की पीढा बहुत ही
असहनीय होती है
साहब!
इसमें कोई दवा भी काम
नहीं आती है,

71-मोहब्बत क्या है
     प्यार क्या है
बुरा तो तब लगता है
जब कोई इश्कजादा ही
पूछे ये इश्क क्या है?

72-इश्क करना या बङा
जुर्म करना
दोनों एकसमान ही है
साहब!
दोनों में साधारण बेल नहीं मिलती,

73-इश्क की दफा बहुत बङी
होती है साहब!
इश्क के केश में उसकी आँखों में
कैद हूँ
बेल डाली थी फिर भी बेल(जमानत)
नहीं दी उसने,

74-आज मैंने इश्क के उसके सारे
खत जला दिए
हाँ अब उसका दिल से नाम तक भी
हम भुला दिए,

75-इश्क मरहम और जखहम दोनों लगता है
बफाई में मरहम और बेवफाई में जखहम
लगता है,

76-अरे नादाँ दिल तू मेरी मोहब्बत से
वाकिफ नहीं
मैं शांत जल हूँ कोई तूफाँ नहीं,

77-लाखों पहरे इश्क नाकाम कर
             देता है
जिसे इश्क से इश्क हो
        वो दुनियाँ में नाम कर देता है,

78-इश्क क्वाँरा सा लगता है
       मगर वो क्वाँरा नहीं
हुए हैं लाखों निकाह
        पर एक भी पूरा नहीं,

79-उसने कहा था कुछ भी हो मेरी
मोहब्बत को दिल में सलामत रखना
मैं ये भी न कर सका इतना
           बेवफा निकला !,

80-नजरें झुका करके आँखों में
आँशुओं को सुखा लेता हूँ
दोष उसका नहीं मैं खुद को
भी सता लेता हूँ,

81-इश्क है उसे तो इश्क से
इश्क की सिफारिश क्या
ये जो मजहबी हैं
  वो इश्क करना जानें ही क्या,

82-हकीकत ये है इश्क
जुमलों में नहीं पलता
इसमें वादे निभाने पङते हैं
सिर्फ वादों से काम नहीं चलता,

83-इश्क भीङ भरी आवादी
का शहर है
और हाँ गाँवों में
तो मोहब्बत भी शहर है,

84-साहब!
हम वो देहाती हैं इश्क जो
करते हैं तो आर-पार तक की
लङाई लङते हैं
नहीं तो इश्क का नाम
सपने में भी न लेते हैं,

85-मोहब्बत से सींचा हुआ बगीचा
गम ने पल भर में उजाङ दिया
उसे क्या पता ये सब
         मेरे दिल ने ही है किया,

86-ओ इश्क तेरे अहसान अपनी
जिंदगी के नाम करते हैं
अब कभी तेरी जरूरत न पङे
इसलिए तेरे खिलाफ बयान करते हैं,

87-आज अतीत में लौटा तो पाया
कि वो मेरे खिलाफ न थी
मैं था इश्क से अनजान
वो (अब नहींहै) मेरे लिए ही जीती थी,

88-इश्क की समय सीमा किसी
ने समझ न पाई
मोहब्बत की कोई ने
    कर ही न पाई भरपाई,

89-दिल का खेल लोग अब
दिल से नहीं प्लास्टिक के
खिलौनों की भाँति खेलने लगे हैं
एक टूटा नहीं दूसरा खरीद कर
लाने लगे हैं,

90-ये इश्क है इसका सफर
ऐसे तय न कर पाओगे
जब तक खुद को प्रेम की
ज्वाला में न जलाओगे,

~ शिवम यादव "अन्तापुरिया"
शायर... के कुछ लेख......& next...

2..."इश्क है उसे"

46-खाँमखाँ प्यार में
        इश्क की आङ में
धोखा देने में वो  
  तुमको कामयाब हो गया,

47-इश्क पर इश्क में ऐसे ही नहीं मैनें लिखा है
इश्क में हजारों दफा मुझे धोखा भी मिला है,

48- वो समझता मैं उसके इश्क का
प्यासा अब भी हूँ
साहब!
हम तो भूल भी गए हैं
उससे कब इश्क किया था मैंने,

49- इश्क में न जाने कितने
आशियानें खाक हो गए
हजारों नजरें छुपाकर
  वो हमारे हो गए,

50-हँसकर उसका मेरे पास आना
नंगे पाँव दौङकर आना
इससे साबित होता
वो मेरी दीवानी है,

51-ये इश्क है क्या
जो कभी तन्हाँ क्यों नहीं
रहता है
फिर ये दो लोगों को बिछङ
क्यों जाने देता है,

52-इश्क में रात छोटी भी बङी
लगती है
जब बङी होती है
तब तो तन्हाइयाँ ही तन्हाइयाँ
होतीं हैं,

53-जब दिल से इश्क का खेल
हर कोई खेल लेता है
फिर ये राष्ट्रीय खेल घोषित
क्यों नहीं होता है,

54-चलो इश्क पर गम का
पहरा लगा दें या
गम पर ही इश्क का
पहरा लगा दें,

55-मेरा इश्क से यूँ ही नाता
नहीं हो गया है
वर्षों तङपा हूँ
तब जाकर वो मेरा हुआ है,

56-इश्क की दुनियाँ रंगीन
सी लगती है
इश्क मिलकर खो जाए
तो जिंदगी गमगीन
सी लगती है,

57-खासकर जब अपना
दोस्त ही धोखा देता है
ज्यादातर इश्क में भी
ऐसा ही होता है,

58-हाँ तारीफ करता हूँ
उसकी जो मेरे बिन न रहती थी
न जाने क्या हो गया उसको
अब मुझे दुश्मन समझती है,

59-वो इश्क की गली से
मैं गुजरा ही कब था
फिर भी मुझे उसने
इतने प्यार से देखा क्यों था,

60-वो दरम्याँ गुजर गए
इश्क से बेकरार होकर
हम भी बिगङ से गए
प्रेम में मशगूल होकर,

61-हर वक्त मोहब्बत का
घूँट पीकर जिंदा हूँ
मगर ऐसे इश्क में जिंदा
भी मुर्दा हूँ,

62-इश्क में हजारों यादें
दफन सी हो गईं
      वो जी तो रहा है
मगर उम्मीदें तो
     कफन सी हो गईं,

63-मुझे कुछ शायर भी
कायर से नजर आने लगे हैं
क्योंकि अब इश्क से धोखे
भी हाथ मिलाने लगे हैं,

64-वो इतना इश्क क्यों
          कर बैठा था मुझे
अब प्यार में इश्क के
पत्थर क्यों मारने लगा मुझे,

65-अपनाए इश्क जिसको
जिंदगी वो सफल हो गई
न मिले इश्क उसकी सूनी
राहें हो गईं,

66-इश्क के रोग का सिला
भारी बीमारी है
जिसे हुआ नहीं उसका
संघर्ष जारी है,

67-तूफानों को दरकिनार
करते जाएँगे
मोहब्बत में उनके पथ
हम बनते जाएँगे,

68-ओ जिंदगी अब इतना
परेशाँ न कर
मैं हार, थककर बैठने
वाला भी नहीं,

69-हर मंजिल में इश्क
की भरपाई करनी है
जो मुझसे नाराज है
उनकी परेशानी सुननी है,

70-इश्क की पीढा बहुत ही
असहनीय होती है
साहब!
इसमें कोई दवा भी काम
नहीं आती है,

71-मोहब्बत क्या है
     प्यार क्या है
बुरा तो तब लगता है
जब कोई इश्कजादा ही
पूछे ये इश्क क्या है?

72-इश्क करना या बङा
जुर्म करना
दोनों एकसमान ही है
साहब!
दोनों में साधारण बेल नहीं मिलती,

73-इश्क की दफा बहुत बङी
होती है साहब!
इश्क के केश में उसकी आँखों में
कैद हूँ
बेल डाली थी फिर भी बेल(जमानत)
नहीं दी उसने,

74-आज मैंने इश्क के उसके सारे
खत जला दिए
हाँ अब उसका दिल से नाम तक भी
हम भुला दिए,

75-इश्क मरहम और जखहम दोनों लगता है
बफाई में मरहम और बेवफाई में जखहम
लगता है,

76-अरे नादाँ दिल तू मेरी मोहब्बत से
वाकिफ नहीं
मैं शांत जल हूँ कोई तूफाँ नहीं,

77-लाखों पहरे इश्क नाकाम कर
             देता है
जिसे इश्क से इश्क हो
        वो दुनियाँ में नाम कर देता है,

78-इश्क क्वाँरा सा लगता है
       मगर वो क्वाँरा नहीं
हुए हैं लाखों निकाह
        पर एक भी पूरा नहीं,

79-उसने कहा था कुछ भी हो मेरी
मोहब्बत को दिल में सलामत रखना
मैं ये भी न कर सका इतना
           बेवफा निकला !,

80-नजरें झुका करके आँखों में
आँशुओं को सुखा लेता हूँ
दोष उसका नहीं मैं खुद को
भी सता लेता हूँ,

81-इश्क है उसे तो इश्क से
इश्क की सिफारिश क्या
ये जो मजहबी हैं
  वो इश्क करना जानें ही क्या,

82-हकीकत ये है इश्क
जुमलों में नहीं पलता
इसमें वादे निभाने पङते हैं
सिर्फ वादों से काम नहीं चलता,

83-इश्क भीङ भरी आवादी
का शहर है
और हाँ गाँवों में
तो मोहब्बत भी शहर है,

84-साहब!
हम वो देहाती हैं इश्क जो
करते हैं तो आर-पार तक की
लङाई लङते हैं
नहीं तो इश्क का नाम
सपने में भी न लेते हैं,

85-मोहब्बत से सींचा हुआ बगीचा
गम ने पल भर में उजाङ दिया
उसे क्या पता ये सब
         मेरे दिल ने ही है किया,

86-ओ इश्क तेरे अहसान अपनी
जिंदगी के नाम करते हैं
अब कभी तेरी जरूरत न पङे
इसलिए तेरे खिलाफ बयान करते हैं,

87-आज अतीत में लौटा तो पाया
कि वो मेरे खिलाफ न थी
मैं था इश्क से अनजान
वो (अब नहींहै) मेरे लिए ही जीती थी,

88-इश्क की समय सीमा किसी
ने समझ न पाई
मोहब्बत की कोई ने
    कर ही न पाई भरपाई,

89-दिल का खेल लोग अब
दिल से नहीं प्लास्टिक के
खिलौनों की भाँति खेलने लगे हैं
एक टूटा नहीं दूसरा खरीद कर
लाने लगे हैं,

90-ये इश्क है इसका सफर
ऐसे तय न कर पाओगे
जब तक खुद को प्रेम की
ज्वाला में न जलाओगे,

~ शिवम यादव "अन्तापुरिया"
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