Wednesday, December 5, 2018

1 " इश्क है उसे "

   *प्रस्तावना*
        .......

      *समर्पण*
         .........

1-इश्क है उसे इश्क की
तामील होनी चाहिए
शिवम जो हैं इश्क के रोगी
उनकी खोज भी होनी चाहिए,

2-जितने ज्यादा इश्क में हम
खामोश दिखते हैं
उससे कई गुना ज्यादा हम
इश्क पर रोज लिखते हैं,

3- क्या बताऊँ इश्क है उसे
चाहता हूँ थोङा इश्क हिस्से
में मेरे भी पङे,

4-हो गया हाँ कारगर तेरा
इश्क तो रँग लाया है
मैं लाचार था इजहार
करता कैसे अब
तो इजहार करने
तू खुद ही आया है,

5-मैं भूल गया था
तेरे इश्क को
तुझे वो पल आज भी याद हैं,
करूँ क्या मैं मजबूर था
इस जिंदगी के रास्ते
बेमिजाज हैं,

6-ये इश्क का शहर मेरे दिल से
     गायब सा हो गया है
जब ढूँढकर पहुँचता हूँ
पास तो भाला लिए खङा है,

7-इश्क में उसने मुझसे
हजारों इजहार किए
एक मैं था कि एक भी
स्वीकार न कर पाए,

8-हस्र है तेरा इश्क में डूबकर आना
      मुझे न पता था तेरा ये अफसाना
जिंदगी कहती करती क्या है "मतलब नहीं"
     मुझे तो बस चलते ही चले जाना,

9-इश्क में उसके घर के
दीवारों में दरारें उसके माफिक थीं
क्योंकि रोज वो उन दरारों से
  मुझे ही देखा करती थी,

10- ये इश्क भी दिल में
     भूचाल सा लाता है
      तब बिन देखे उसे
  मुझसे जिया नहीं जाता है,

11-ऐ खुदा उन गद्दार दिलों में
इश्क के बीज मत बोना
जिनके फितरत में हो
बिन फल आए फसलों को
उजाङ देना,

12-इश्क मजहब न जाति देखता है
सिर्फ सामने वाले में इश्क होना चाहिए
ये इश्क सिर्फ इश्क देखता है,

13- इश्क क्या है..?
    हवा है , पानी है,
जिंदगानी है या निशानी है
हो जाता है जिसको
उसकी बनती कहानी है,

14-ये इश्क जिसके पास आता है
तब तो पता नहीं चलता
साहब!
            जिसदिन जाता है
उस दिन कई आशियाने उजाङ जाता है,

15-तू क्यों मेरी इश्क में फजीहत करता है
         जब मेरा दिल
तेरे नाम अपनी शराफत बसीहत करता है,

16-चल रहा हूँ जिंदगी में
अकेले रहने का शौक लेकर
शुक्र है इश्क न हुआ मुझे
       किसी को देखकर,

17-रहनुमा जिंदगी तन्हाइयों में गुजारा लूँगा
ऐ खुदा तू मुँह न मोङ लेना
           तेरे बिना न रह पाऊँगा मैं

18-इश्क इशारे भी करता है
इश्क हँसाता भी है, रूलाता भी है
दूर होकर तुमसे, फिर तङपाता भी है,

19-इश्क के अपराध में सजा गम है
इश्क में रोना क्या है, हँसना क्या है
इश्क में जितना जियो उतना ही कम है,

20-मैं इश्क में तेरे काबिल नहीं
लगूँ गले ये मेरी फितरत नहीं
     हूँ अनजान इश्क से
करूँ क्या तुमसे बातें कई,

21-पल दो पल मेरे साथ
           गुजार कर जाना
मैं हूँ तन्हाँ इस समय
थोङा सब्र मुझे देते जाना,

22- तेरी इश्की इजहारी सुबह
की याद आज भी है
तूने बुलाया मैं मिलने न पहुँचा
उसका मलाल आज भी है,

23- चलो आज इश्क को सरेआम
करता हूँ
तू जा अकेला चला जा
मैं उससे एक मोहब्बत का सवाल
करता हूँ,

24-हो गया हूँ बेकरार
इश्क में अब सिर झुकता नहीं
काबिले है इश्क है उसका
जिसे भूल सकता नहीं,

25-रख लो अदब से एक
और नाम मेरा
'बेवफा' कहकर
मैं चलता ही जाऊँगा
इश्क की राहों पर
खबर से बेखबर होकर,

26-इश्क में क्या गुनाह
क्या फरेब है
जब इश्क हो जाता है
तो सोचता कौन है,

27-मुझे देखकर ये न सोचना
कि मैंने भी इश्क किया होगा
ऐसा नहीं है
इश्क में डुबकी जरूर लगाई है
भूलकर भी नहाया न होगा,

28-इश्क में नहाकर गम की
छाॅव में बैठा हूँ
भूलकर उसको आज याद सी
कर बैठा हूँ,

29-ये इश्क का सफर आसाँ नहीं
इस सफर को क्यों चुनते हैं लोग
देखता हूँ कहाँ तक सँभलकर
चलते जाएँगे लोग,

30-इश्क कभी चंदा तो कभी सूरज
बनकर आता है
कभी रूलाता तो कभी सर्दी में धूप
बनकर हँसाता है,

31-इंतजार इश्क का बहुत ही
मार्मिक है
कोई रोककर दिल बहलाता है
कोई अतीत में चला जाता है,

32-कोई मिलकरके रोता है
कोई मिलने को रोता है
ये प्रेम का विरह है
प्रेमी की धङकन को तो
बस प्रेमी समझता है,

33-चंदा और सूरज सफर तय
करके दुबारा फिर से
आ जात हैं
विरह में इश्क के वो
बिना उसके तङपकर
रह जाते हैं,

34-हाल बेहाल क्यों है इश्क
में उसका
मैं जा रहा हूँ दुनियाँ छोङकर
बस हूँ मेहमान पल दो पल का,

35-इश्क में अभी जीता कहाँ
ये तो अभ्यास मैच था
फिर मिलूंगा अगले जनम में
तब वाकई सीरीज जीतूँगा,

36-अभी तो इश्क के बीज
      बोए है उसने
कब उगेंगे और फल देंगे
    ये जाना किसने,

37-इश्क न गरीब होता है
      न अमीर होता है
     इसे निभा जो पाता है
  वही उसकी जागीर होता है,

38-इश्क शब्द समाज में
हमेशा कटु बनता आया है
इसे जाना उसी ने है
जिसने खुद को इश्क की ज्वाला
में आहुति देकर देखा है,

39-इश्क में कोई भी रीति-रिवाज
का बंधन नहीं शायद
तभी तो हर शख्स की आँखों
में लगता है जायज,

40-इश्क बदनाम भी है
        इश्क गुमनाम भी है
इश्क कामयाब भी है
    इश्क में कुछ के
        हाल बेहाल भी हैं,

41-इश्क से बचा कौन है
     इश्क से रँजा कौन है
   बेदाग हो तुम जो इश्क में
   तो फिर बदनाम हुआ कौन है,

42-इश्क के माफिक उनकी
निगाहें होने लगीं
जरा सी देरी में अब मुझे
  भी बेचैनी होनी लगी,

43-इश्क की बारात लिए
हजारों गम भी आएँगे,
तुम हुए नाकाम तो क्या हुआ
वो तो कामयाब हो जाएँगे,

44-इश्क की तन्हाइयों में
बात चाँद से भी कर लेते हैं
जब अकेले जी नहीं भरता
तो चंदा को ही आशिक मान लेते हैं,

45-तेरे इश्क के बसीहत नामा
        का गवाह कौन है
तुझे सच्चा प़्रेम हुआ है
           ये मानता कौन है,
.........................................
~शिवम यादव "अन्तापुरिया"
शायरनामा के कुछ अंश....

No comments:

Post a Comment