। चल दिए हम।
चल दिए हम घूम करके
लक्ष्य को पाने को....-2
न मिला है वो किनारा
दूर तक जाने को
था अजीब वो वक्त मेरा
तुमको भूल जाने को
चल दिए हम घूम करके
लक्ष्य को पाने को....-2
था मुकम्बल मुझको पाना
चाहें कहो मिटाने को
रो रोकर हँसने लगे
प्यार तेरा निभाने को
चल दिए हम घूम करके
लक्ष्य को पाने को...-2
जीत में भी हार ले ली
तेरा दिल बचाने को
दर्दों से नाता जोङा
तुमको सुकूँ दिलाने को
चल दिए घूम करके
लक्ष्य को पाने को...-2
दर्द भी हटता नहीं
बिन मरे जल जाने को
चल दिए हम घूम करके
लक्ष्य को पाने को...-2
~ लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया
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