Saturday, December 29, 2018

* गजल *

               । चल दिए हम।

चल दिए हम घूम करके
           लक्ष्य को पाने को....-2

न मिला है वो किनारा
          दूर तक जाने को
था अजीब वो वक्त मेरा
           तुमको भूल जाने को
चल दिए हम घूम करके
            लक्ष्य को पाने को....-2
था मुकम्बल मुझको पाना
           चाहें कहो मिटाने को
रो रोकर हँसने लगे
        प्यार तेरा निभाने को
चल दिए हम घूम करके
    लक्ष्य को पाने को...-2
जीत में भी हार ले ली
           तेरा दिल बचाने को
दर्दों से नाता जोङा
   तुमको सुकूँ दिलाने को
चल दिए घूम करके
       लक्ष्य को पाने को...-2
दर्द भी हटता नहीं
     बिन मरे जल जाने को
चल दिए हम घूम करके
          लक्ष्य को पाने को...-2

~  लेखक/कवि
शिवम यादव अन्तापुरिया

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