Thursday, December 6, 2018

2..."इश्क है उसे"

46-खाँमखाँ प्यार में
        इश्क की आङ में
धोखा देने में वो  
  तुमको कामयाब हो गया,

47-इश्क पर इश्क में ऐसे ही नहीं मैनें लिखा है
इश्क में हजारों दफा मुझे धोखा भी मिला है,

48- वो समझता मैं उसके इश्क का
प्यासा अब भी हूँ
साहब!
हम तो भूल भी गए हैं
उससे कब इश्क किया था मैंने,

49- इश्क में न जाने कितने
आशियानें खाक हो गए
हजारों नजरें छुपाकर
  वो हमारे हो गए,

50-हँसकर उसका मेरे पास आना
नंगे पाँव दौङकर आना
इससे साबित होता
वो मेरी दीवानी है,

51-ये इश्क है क्या
जो कभी तन्हाँ क्यों नहीं
रहता है
फिर ये दो लोगों को बिछङ
क्यों जाने देता है,

52-इश्क में रात छोटी भी बङी
लगती है
जब बङी होती है
तब तो तन्हाइयाँ ही तन्हाइयाँ
होतीं हैं,

53-जब दिल से इश्क का खेल
हर कोई खेल लेता है
फिर ये राष्ट्रीय खेल घोषित
क्यों नहीं होता है,

54-चलो इश्क पर गम का
पहरा लगा दें या
गम पर ही इश्क का
पहरा लगा दें,

55-मेरा इश्क से यूँ ही नाता
नहीं हो गया है
वर्षों तङपा हूँ
तब जाकर वो मेरा हुआ है,

56-इश्क की दुनियाँ रंगीन
सी लगती है
इश्क मिलकर खो जाए
तो जिंदगी गमगीन
सी लगती है,

57-खासकर जब अपना
दोस्त ही धोखा देता है
ज्यादातर इश्क में भी
ऐसा ही होता है,

58-हाँ तारीफ करता हूँ
उसकी जो मेरे बिन न रहती थी
न जाने क्या हो गया उसको
अब मुझे दुश्मन समझती है,

59-वो इश्क की गली से
मैं गुजरा ही कब था
फिर भी मुझे उसने
इतने प्यार से देखा क्यों था,

60-वो दरम्याँ गुजर गए
इश्क से बेकरार होकर
हम भी बिगङ से गए
प्रेम में मशगूल होकर,

61-हर वक्त मोहब्बत का
घूँट पीकर जिंदा हूँ
मगर ऐसे इश्क में जिंदा
भी मुर्दा हूँ,

62-इश्क में हजारों यादें
दफन सी हो गईं
      वो जी तो रहा है
मगर उम्मीदें तो
     कफन सी हो गईं,

63-मुझे कुछ शायर भी
कायर से नजर आने लगे हैं
क्योंकि अब इश्क से धोखे
भी हाथ मिलाने लगे हैं,

64-वो इतना इश्क क्यों
          कर बैठा था मुझे
अब प्यार में इश्क के
पत्थर क्यों मारने लगा मुझे,

65-अपनाए इश्क जिसको
जिंदगी वो सफल हो गई
न मिले इश्क उसकी सूनी
राहें हो गईं,

66-इश्क के रोग का सिला
भारी बीमारी है
जिसे हुआ नहीं उसका
संघर्ष जारी है,

67-तूफानों को दरकिनार
करते जाएँगे
मोहब्बत में उनके पथ
हम बनते जाएँगे,

68-ओ जिंदगी अब इतना
परेशाँ न कर
मैं हार, थककर बैठने
वाला भी नहीं,

69-हर मंजिल में इश्क
की भरपाई करनी है
जो मुझसे नाराज है
उनकी परेशानी सुननी है,

70-इश्क की पीढा बहुत ही
असहनीय होती है
साहब!
इसमें कोई दवा भी काम
नहीं आती है,

71-मोहब्बत क्या है
     प्यार क्या है
बुरा तो तब लगता है
जब कोई इश्कजादा ही
पूछे ये इश्क क्या है?

72-इश्क करना या बङा
जुर्म करना
दोनों एकसमान ही है
साहब!
दोनों में साधारण बेल नहीं मिलती,

73-इश्क की दफा बहुत बङी
होती है साहब!
इश्क के केश में उसकी आँखों में
कैद हूँ
बेल डाली थी फिर भी बेल(जमानत)
नहीं दी उसने,

74-आज मैंने इश्क के उसके सारे
खत जला दिए
हाँ अब उसका दिल से नाम तक भी
हम भुला दिए,

75-इश्क मरहम और जखहम दोनों लगता है
बफाई में मरहम और बेवफाई में जखहम
लगता है,

76-अरे नादाँ दिल तू मेरी मोहब्बत से
वाकिफ नहीं
मैं शांत जल हूँ कोई तूफाँ नहीं,

77-लाखों पहरे इश्क नाकाम कर
             देता है
जिसे इश्क से इश्क हो
        वो दुनियाँ में नाम कर देता है,

78-इश्क क्वाँरा सा लगता है
       मगर वो क्वाँरा नहीं
हुए हैं लाखों निकाह
        पर एक भी पूरा नहीं,

79-उसने कहा था कुछ भी हो मेरी
मोहब्बत को दिल में सलामत रखना
मैं ये भी न कर सका इतना
           बेवफा निकला !,

80-नजरें झुका करके आँखों में
आँशुओं को सुखा लेता हूँ
दोष उसका नहीं मैं खुद को
भी सता लेता हूँ,

81-इश्क है उसे तो इश्क से
इश्क की सिफारिश क्या
ये जो मजहबी हैं
  वो इश्क करना जानें ही क्या,

82-हकीकत ये है इश्क
जुमलों में नहीं पलता
इसमें वादे निभाने पङते हैं
सिर्फ वादों से काम नहीं चलता,

83-इश्क भीङ भरी आवादी
का शहर है
और हाँ गाँवों में
तो मोहब्बत भी शहर है,

84-साहब!
हम वो देहाती हैं इश्क जो
करते हैं तो आर-पार तक की
लङाई लङते हैं
नहीं तो इश्क का नाम
सपने में भी न लेते हैं,

85-मोहब्बत से सींचा हुआ बगीचा
गम ने पल भर में उजाङ दिया
उसे क्या पता ये सब
         मेरे दिल ने ही है किया,

86-ओ इश्क तेरे अहसान अपनी
जिंदगी के नाम करते हैं
अब कभी तेरी जरूरत न पङे
इसलिए तेरे खिलाफ बयान करते हैं,

87-आज अतीत में लौटा तो पाया
कि वो मेरे खिलाफ न थी
मैं था इश्क से अनजान
वो (अब नहींहै) मेरे लिए ही जीती थी,

88-इश्क की समय सीमा किसी
ने समझ न पाई
मोहब्बत की कोई ने
    कर ही न पाई भरपाई,

89-दिल का खेल लोग अब
दिल से नहीं प्लास्टिक के
खिलौनों की भाँति खेलने लगे हैं
एक टूटा नहीं दूसरा खरीद कर
लाने लगे हैं,

90-ये इश्क है इसका सफर
ऐसे तय न कर पाओगे
जब तक खुद को प्रेम की
ज्वाला में न जलाओगे,

~ शिवम यादव "अन्तापुरिया"
शायर... के कुछ लेख......& next...

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