Saturday, December 29, 2018

जिंदगी और मौत की वार्तालाप

.जिंदगी से मौत और मौत से जिंदगी की वार्ता.

मौत जिंदगी से हँसकर बोली
अरे री मैं हूँ तेरी सहेली,

दुनियाँ हमसे करती है नफरत
पर तुमको बना लेती है पहेली,

जिंदगी के मेरे जीवन कुछ
   इरादे और ख्वाब होते हैं
   तेरी वजह से जीवन के
हर वादे भी पूरे नहीं होते हैं,

मौत ने कहा मैं गरीब-अमीर
दोनों को समान देखती हूँ
तुम दोनों को भिन्नता से,

आखिर दुनियाँ का कङुवा
    सच तो मैं हूँ...
बस यही कारण है
मुझे लोग दुतकारते हैं
   तुम्हें पुचकारते हैं,

मनुष्य से सम्मान
पाने के बाद भी..
तुम उन्हें वो जगह
नहीं दे पाती हो,

दुतकारने के बावजूद भी
मैं उन्हें स्वर्ग पहुँचा देती हूँ...

~ युवा कवि/लेखक
शिवम यादव अन्तापुरिया

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