Thursday, December 27, 2018

मुश्किल में कविराय शिवम

          « जिंदगी »

    हँसी भी आ जाती है
आँखों में नमी भी आ जाती है
आखिर जिंदगी मेरे लिए ही
कष्ट क्यों ढूँढकर लाती है,

हैरान हूँ जीवन की क्रियाओं से
   एक तरफ आर्थिक तंगी,
सोच तो बहुत दूर की लेता हूँ
   मगर जिंदगी ठहरी वहीं
मुश्किलों के टापू पर घिरी
         ही नजर आती है,

ऐसे वक्त से जद्दोजहद चल रही है
    हजारों की भीङ में
मुश्किल सिर्फ मुझे ही अपना
         निशाना बना रही है,

    खैर फिर भी ये जीवन है
मुश्किलों ,कठिनाइयों से गुजरकर
           कुछ न कुछ
सीख तब भी मिलती जा रही है,

        ~ युवा लेखक
मुश्किल में कविराय शिवम यादव अन्तापुरिया

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