जो तेरी यादों के गम हैं
ये तो अपने ख्वाब हैं
जिंदगी के अहसास हैं
कभी वो कभी हम हैं
हर कदम पर कदम हैं
सबकी यादों में ही हम हैं
हम तो चलते ही चलते हैं
फ़िर किधर जाने के भरम हैं
शिवम अन्तापुरिया
ये मीठे-मीठे ख्वाब हैं
जिंदगी में कई सवाल हैं
चलते-चलते जाना है
यही जिंदगी का नाम है
तेरे बिन भी उठते सवाल हैं
बस अब यही मलाल है
हाँ अब यही ख्याल हैं
तेरे दिल का क्या जबाव है
अब तुझसे ये सवाल है
अब तुझसे ये सवाल है
तुझे छोड़ हम सकते नहीं
तुम्हें भूल हम सकते नहीं
अपनी समस्याओं से तुम्हें
अब हम लड़ने देंगे नहीं
तुम शान अब मेरी बनो
तुम आन अब मेरी बनो
हाँ मान मर्यादा का तुम
ये आव्हान भी मेरे बनो
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
बिना एक सफ़र के मिला कुछ नहीं है
किया नाम जिसने बिका बस वही है
वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है
दुनियां में तुमने जब किया कुछ नहीं है
ख्वाबों से सब कुछ मिला भी नहीं है
वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है
शिवम अंतापुरिया
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