"एक जीवन जीवन हो"
समय कभी रुकता नहीं है ऐसा सबको ही पता है, लेकिन ये जिंदगी भी एक ऐसा ही पहलू है l
जो कभी ठहरती नहीं है चलते जाने का नाम जिंदगी है, जो रूक गया है वही उलझ गया है वो सफ़र कैसा भी आगे तक जाना ही चाहिए क्या पता आगे कोई बहुत अच्छा सा रास्ता मिल जाए,
जिंदगी एक कहानी है और कुछ नहीं अब इसे हम कैसे गढ़ते हैं फ़िर दुनियाँ के सामने कैसे पेश करते हैं ये हम पर ही निर्भर करता है न कि कोई और के,
अगर हर व्यक्ति का जीवन 'एक जीवन के भाँति हो' मतलब सकुशलता से व्यतीत हो जाए
तो कितना सुन्दर परिदृश्य रहा होगा वो, सकुशलता से भरे जीवन के मनोभाव को अपने अंदर जरा देर के लिए समावेशित करके देखिए, उसे महसूस कीजिए फ़िर देखिए कैसा मन प्रफ़ुल्ल होगा l
लेकिन जीवन की सच्चाई तो संघर्ष है बिना संघर्ष के कुछ नहीं है जो व्यक्ति आज अपना जीवन एक स्वतंत्र जीवन जी रहा है जरा उसके पास बैठकर उसके समुद्र रूपी ह्रदयावरण को हल्का सा अनावरण करके देखिए तब आपको वही देखने को मिलेगा जिस दौर से आप भी गुज़र रहे होंगे या गुज़र चुके होंगे और जब तक आप कठिनाईयों से परिचित नहीं होंगे,उनसे जीत नहीं पाएँगे तब तक तनाव मुक्त जीवन असम्भव है क्योंकि जब हम कठिनाईयों को ही जीत लेंगे फ़िर कभी भी कहीं भी उसे हरा सकते हैं और जीवन को जीवन अपने तरीके से पेश कर सकते हैं सबके सामने जिसे देखकर सब यही कहेंगे इसे कहते हैं "जीवन"
भयभीत होकर जिंदगी की राह में शिवम चलना पड़ा l
हमने सबका साथ दिया मुझे अकेले ही चलना पड़ा ll
मुझे जिंदगी में हार तब तक नहीं माननी चाहिए जब तक कि खुद में एक भी अगर साँस बाकी हो प्रयत्न की कोई समयसीमा नहीं होती है और न ही होनी चाहिए
ये दुनियाँ में मात्र एकलौती जंग "जिंदगी" ही है जिसमें पक्ष और विपक्ष हम ही होते हैं या फ़िर कहें कि "योद्धा भी हम होते हैं और कायर भी"
इस जंग में हम अकेले ही होते हैं कोई भी चाहकर भी साथ नहीं दे सकता है,ये जंग जीतना बहुत ही बड़ी बात होती क्योंकि दुनियाँ की हर जंग में मेरे साथ कोई न कोई जरूर होता है l
आज जिंदगी की जंग में लड़ ले अकेले l
बार-बार मौके ऐसे मिलते नहीं हैं अकेले ll
जीत का प्रयास लेकर बढ़ता चल अब तू अकेले l
ये खुद ही खुद से जंग है जिसे जीतना है अब अकेले ll
लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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