ये तेरे धागे का हम बंधन कभी न छूटने देंगे
तेरी रक्षा हर वादा अब अपने शीश हम लेंगे
गलत नज़रें उठें तुम पे वो आँखें फ़ोड़ देंगे हम
मेरी बहना तेरे दामन में खुशियाँ बाँध देंगे हम
तेरी रक्षा का है बंधन इसे न तोड़ देना तुम
ये रिश्तों का है बंधन इसे न छोड़ देना तुम
मेरी बहना मेरी सबकुछ मेरी शान भी हो तुम
मेरे हर मुकामों की बुलंद आवाज भी हो तुम
रचयिता
~ शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश
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