थोड़ा सा अब समय भी मुझे दीजिए
शिवम अन्तापुरिया
"दुनियाँ में एकलौती जंग जिंदगी ही है जिसमें योद्घा भी हम होते हैं और कायर भी"
शिवम अन्तापुरिया
आपके हाल फ़िर
आज यूँ जान कर
दिल हुआ है खुशी
प्यार को देख कर
शिवम अन्तापुरियाहमारे बेहद अजीज पूरक मित्र से बड़कर भाई यथार्थवादी कवि लोकेश "अथक" बदायूँ {उ• प्र•} को
*शादी सालगिराह मुबारक*
जीवन के हर हाल में तुमको रहना है
प्रेम पाड़ बनवारी जैसा "अथक"
तुम्हीं को देना है
आसमान भर सालगिराह मुबारक हो तुमको
दो वर्षों की बात क्या दो सौ साल साथ में रहना है
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
बहुत लिखना पड़ा हमको
बहुत सहना पड़ा हमको
जिंदगी के पड़ाओं में
बहुत चलना पड़ा हमको
शिवम अन्तापुरिया
जिंदगी में जिंदगी से गलतियाँ होती ही रहतीं हैं
मगर गलती से गलतियों को जिंदगी बनाने की गलती मत करना
शिवम अन्तापुरिया
जीते जी जिंदगी अब कहाँ आ गई
लोग समझें तुम्हें नौबतें आ गईं
जख्म एक और दो से न जब मन भरा
सिर पे दुनियाँ की सारी उलझने आ गईं
शिवम अन्तापुरिया
जब जुनून हो दिल में तो मन ठहर नहीं सकता l
जो लिखा हो मुकद्दर में उसे कोई छीन नहीं सकता ll
शिवम अन्तापुरिया
ये जीवन एक ख्वाबों,ख्यालों,उम्मीदों,मुश्किलों और उलझनों से भरा शहर है l
कुछ तो आराम से जिंदगी जिया करते हैं
बाकी पर तो समस्याओं का कहर है ll
शिवम अन्तापुरिया
दिल की मायूसी बहुत कुछ बता जाती है
चेहरे की खामोशी बहुत कुछ जता जाती है
मगर जब कुछ खोने के लिए नहीं होता
तब जिंदगी पाने के लिए बहुत कुछ दिखा जाती है
शिवम अन्तापुरिया
कभी तुमसे नहीं रूठे
कभी हमसे नहीं रूठे
नज़ाकत है मेरी ये ही
जमाना भी नहीं रूठे
शिवम अन्तापुरिया
मेरी जिंदगी में लोग ऐसे आने की कोशिश करते हैं!
जैसे कि लोग बिना दरवाजे के घर में दाखिल होते हैं !!
शिवम अन्तापुरिया
बहुत कुछ देख लिया है अबतक सत्ता की तलवारों में
जो न्याय नहीं दे पाते हैं खुद के ही दरबारों में
शिवम अन्तापुरिया
मैं कुछ गलत,कुछ सही,कुछ अच्छा, कुछ खराब भी हूँ !
तभी तो कुछ लोगों को लगता है
कि मैं उनके खेलने का खिलौना भी हूँ !!
शिवम अन्तापुरिया
अब हर हाथों में फ़ौलादी भरना ही है काम मेरा
भरतभूमि के कण कण में हैं वीरों का यशगान लिखा
शिवम अन्तापुरिया
जिंदगी में बहुत सी बेचैनियाँ पाई जाती हैं
फ़िर भी ये बेचैनियाँ मनुष्य से ही निभाई जाती हैं
शिवम अन्तापुरिया
आज जिंदगी की जंग में लड़ ले अकेले l
बार-बार मौके ऐसे मिलते नहीं हैं अकेले ll
जीत का प्रयास लेकर बढ़ता चल अब तू अकेले l
ये खुद ही खुद से जंग है जिसे जीतना है अब अकेले ll
लेखक
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
खुशहाल_नागपंचमी
जिनके शीश पर हर-दम सधा भू-लोक रहता है !!
उन्हीं के रोज चरणों में झुका मेरा शीश रहता है !!
ये नाग देवता पूज्य हैं सबके सदा हैं पूजते आए !!
क्षीर निवास है उनका पर्व नागपंचमी याद रहता है !!
शिवम अन्तापुरिया
"रक्षा का बंधन"
ये तेरे धागे का हम बंधन कभी न छूटने देंगे
तेरी रक्षा हर वादा अब अपने शीश हम लेंगे
गलत नज़रें उठें तुम पे वो आँखें फ़ोड़ देंगे हम
मेरी बहना तेरे दामन में खुशियाँ बाँध देंगे हम
तेरी रक्षा का है बंधन इसे न तोड़ देना तुम
ये रिश्तों का है बंधन इसे न छोड़ देना तुम
मेरी बहना मेरी सबकुछ मेरी शान भी हो तुम
मेरे हर मुकामों की बुलंद आवाज भी हो तुम
रचयिता
~ शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश
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