Wednesday, August 26, 2020

ईयरफ़ोन

ईयरफ़ोन के साथ जब हम गीत सुन रहे होते हैं या कोई गज़ल सुन रहे होते हैं तब ईयर फ़ोन से सुनने में जो अनुभूति दिल को मिलती है वो अनुभूति साधारणतया सुनने में नहीं होती है l ईयर फ़ोन से किसी भी आवाज़ को सुनने में मन गीतमय हो जाता है और सबसे अलग तरीके की स्वतंत्रता रूपी शान्ति प्राप्त होती है l हम जो सुन रहे होते हैं बस ये लगता है कि वास्तव में मैं उसी दुनियाँ में हूँ, अपने आप को बिल्कुल आज़ाद सा पाता हूँ l 

लेखक शिवम यादव "अन्तापुरिया" 
कानपुर उत्तर प्रदेश

Monday, August 17, 2020

कब तक पार करेंगें

कब तक पार करेंगें हद सरहद की  

वो बात समझ न पाते मेरे दिल की

शिवम अंतापुरिया

जिस दिन आप अपने लक्ष्य forget नहीं target बना लोगे 

उस दिन दुनियाँ के हर पहलू को तुम जी लोगे 

शिवम अन्तापुरिया 


बिना एक सफ़र के मिला कुछ नहीं है 
किया नाम जिसने बिका बस वही है

वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है

दुनियां में तुमने जब किया कुछ नहीं है
ख्वाबों से सब कुछ मिला भी नहीं है

वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है


    शिवम अंतापुरिया

लौट कर राम फ़िर से अपने घर आए हैं 
साथ में माता जानकी को भी लाए हैं 

शिवम अन्तापुरिया

मैं जिस दौर से गुज़र रहा हूँ, मुझे गुज़रने दो 
कोई मेरे साथ न आओ, मुझे अकेला ही रहने दो

बताकर सारी दुनियाँ को सिया के राम आए हैं 
माता जानकी,लक्ष्मण के संग हनुमान आए हैं 


शिवम अन्तापुरिया

बीमारी है किसे नहीं 
बस कुछ लोग बचे हैं 
कुछ लोग बचे नहीं 

शिवम अन्तापुरिया

जन्म लेते हैं कारागार में भगवान जब आकर 
धरती के पापों को धोया स्वंम चक्र उठाकर 
अब नहीं दामा नहीं मोहन नहीं बलराम यहाँ हैं 
चले पद्चिन्ह पर उनके पढे़ गीता को उठाकर 

@oshayarshivam 

शिवम अन्तापुरिया

बहुत कम समय में मेरा जनाज़ा 
तैयार हो गया था 
मगर उठाने वालों के दिल तैयार न हो पाए 

शिवम अन्तापुरिया

ये वही वीर हैं जिनका लहू देश के काम आया 
बाकी तो गद्दारों का गद्दारी में नाम आया
 
शिवम अन्तापुरियासमय और रुपये में फ़र्क 

दुनियाँ के 1करोड़ लोग एक व्यक्ति को दो-दो मिनट समय दें तो दो ही मिनट होंगे 

दुनियाँ के 1करोड़ लोग एक व्यक्ति को दो-दो ₹ दें तो दो करोड़ ₹ हो होंगे 

शिवम अन्तापुरिया

बहुत मरे थे,बहुत कटे थे नदियों में लहू बहाया था 
तब जा करके भारत में ये तिरंगा लहराया था 


शिवम अन्तापुरिया

तुम करना नहीं

वो प्यार करती है, करने दो, तुम करना नहीं, 
 कहीं फ़ँस गए, तुम उसकी जद में अगर,
            !! तो है बचना नहीं !!
~ @OshayarShivam

"यही ख्याल हैं"

ये मीठे-मीठे ख्वाब हैं 
जिंदगी में कई सवाल हैं 
चलते-चलते जाना है 
यही जिंदगी का नाम है 
तेरे बिन भी उठते सवाल हैं 
बस अब यही मलाल है 
हाँ अब यही ख्याल हैं 
तेरे दिल का क्या जबाव है 
अब तुझसे ये सवाल है 
अब तुझसे ये सवाल है 

तुझे छोड़ हम सकते नहीं
तुम्हें भूल हम सकते नहीं
अपनी समस्याओं से तुम्हें
अब हम  लड़ने देंगे नहीं

तुम शान अब मेरी बनो
तुम आन अब मेरी बनो 
हाँ मान मर्यादा का तुम 
ये आव्हान भी मेरे बनो

      रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 

कुछ ही तो हैं

बस ये कुछ ही तो हैं 
जो तेरी यादों के गम हैं 
ये तो अपने ख्वाब हैं 
जिंदगी के अहसास हैं 
कभी वो कभी हम हैं
हर कदम पर कदम हैं 
सबकी यादों में ही हम हैं 
हम तो चलते ही चलते हैं 
फ़िर किधर जाने के भरम हैं

शिवम अन्तापुरिया 

ये मीठे-मीठे ख्वाब हैं 
जिंदगी में कई सवाल हैं 
चलते-चलते जाना है 
यही जिंदगी का नाम है 
तेरे बिन भी उठते सवाल हैं 
बस अब यही मलाल है 
हाँ अब यही ख्याल हैं 
तेरे दिल का क्या जबाव है 
अब तुझसे ये सवाल है 
अब तुझसे ये सवाल है 

तुझे छोड़ हम सकते नहीं
तुम्हें भूल हम सकते नहीं
अपनी समस्याओं से तुम्हें
अब हम लड़ने देंगे नहीं

तुम शान अब मेरी बनो
तुम आन अब मेरी बनो 
हाँ मान मर्यादा का तुम 
ये आव्हान भी मेरे बनो

      रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया

बिना एक सफ़र के मिला कुछ नहीं है 
किया नाम जिसने बिका बस वही है

वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है

दुनियां में तुमने जब किया कुछ नहीं है
ख्वाबों से सब कुछ मिला भी नहीं है

वो चाहें भी जो हो दिखा तक नहीं है


    शिवम अंतापुरिया

नज़र अन्दाज़

कभी ऐसा भी होता है कि मनुष्य को खुद से ही झूठ बोलना और खुद को ही नज़रअन्दाज़ करना पड़ता है 
..........

मैं जिस दौर से गुज़र रहा हूँ, मुझे गुज़रने दो 
कोई मेरे साथ न आओ, मुझे अकेला ही रहने दो

जिस दिन आप अपने लक्ष्य को
forget नहीं target बना लोगे 
उस दिन दुनियाँ के हर
 पहलू को तुम जी लोगे 

शिवम अन्तापुरिया 

 कर राम फ़िर से अपने घर आए हैं 
साथ में माता जानकी को भी लाए हैं 

शिवम अन्तापुरिया


मची खलबली

"मची खलबली"

घिरे बादलों की 
भूख बस यही है 
ज़मीं भीग जाए 
कमी बस यही है 
घिरे घनघोर बादल 
उमड़ ही रहे हैं 
जिन्हें देखकर दिल 
में मची खलबली है

आशाओं की किरणें 
हिलोरें भर रहीं हैं 
मन की मनोदशा 
शिथिल हो रही है
मेरी साँस रूकती 
बिखरती जा रही है
लगा जैसे मेरी साँसे 
बारिश की बूँदों से 
जुड़ती जा रहीं हैं 

युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया 
उत्तर प्रदेश 
भारत
+91 9454434161

Monday, August 3, 2020

award and news in published poem

"रक्षा का बंधन" 

ये तेरे धागे का हम बंधन कभी न छूटने देंगे 
तेरी रक्षा हर वादा अब अपने शीश हम लेंगे 
गलत नज़रें उठें तुम पे वो आँखें फ़ोड़ देंगे हम 
मेरी बहना तेरे दामन में खुशियाँ बाँध देंगे हम 


तेरी रक्षा का है बंधन इसे न तोड़ देना तुम 
ये रिश्तों का है बंधन इसे न छोड़ देना तुम
मेरी बहना मेरी सबकुछ मेरी शान भी हो तुम 
मेरे हर मुकामों की बुलंद आवाज भी हो तुम

         रचयिता 
  ~ शिवम अन्तापुरिया 
     कानपुर उत्तर प्रदेश

विचार धारा

ज्यादातर लोग target को forget कर देते हैं 
लेकिन जो forget के बाद Target करते हैं 
वे कभी forget नहीं करते हैं 

shivam antapuriya

हमको देखना सिर्फ़ ये होता है अब कि 
अपने जीवन का उद्भव कहाँ से कैसे हुआ था 
और अब जा कहाँ रहे हैं 

शिवम अन्तापुरिया

व्यक्ति में शारीरिक ताकत होना ही सब कुछ नहीं है 
उसका उद्भव उसकी मानसिक क्षमता से होता है 

शिवम अन्तापुरिया

किसी भी हँसती, खेलती,मुस्कुराती, खिलखिलाती हुई जिंदगी को आहट न पहुँचाए वो भी सच्चा इंशान है 

शिवम अन्तापुरिया

जंग इस कदर कुछ लड़ी जाए 
कि सबकी दुआएँ दुआएँ नज़र आए 

शिवम अन्तापुरिया

पुरानी रीतियों को देखकर... 
बस थोड़ा सा चल लो 
जिंदगी सफ़ल हो जाएगी

अपने आप में बस थोड़ा सा
 प्यार का अहसास करके देख लो... 
तुम्हारे प्यार की यात्रा पूरी हो जाएगी 


शिवम अन्तापुरिया

विचलित होते जो सदा मार्ग से है उनको ये आभास नहीं... 
ये भरत भूमि का कण-कण है जिसका कोई जबाव नहीं... 


शिवम अन्तापुरिया

Saturday, August 1, 2020

शिवम अन्तापुरिया कहानी

"एक जीवन जीवन हो"

समय कभी रुकता नहीं है ऐसा सबको ही पता है, लेकिन ये जिंदगी भी एक ऐसा ही पहलू है l 
जो कभी ठहरती नहीं है चलते जाने का नाम जिंदगी है, जो रूक गया है वही उलझ गया है वो सफ़र कैसा भी आगे तक जाना ही चाहिए क्या पता आगे कोई बहुत अच्छा सा रास्ता मिल जाए,

जिंदगी एक कहानी है और कुछ नहीं अब इसे हम कैसे गढ़ते हैं फ़िर दुनियाँ के सामने कैसे पेश करते हैं ये हम पर ही निर्भर करता है न कि कोई और के,
अगर हर व्यक्ति का जीवन 'एक जीवन के भाँति हो' मतलब सकुशलता से व्यतीत हो जाए 
तो कितना सुन्दर परिदृश्य रहा होगा वो, सकुशलता से भरे जीवन के मनोभाव को अपने अंदर जरा देर के लिए समावेशित करके देखिए, उसे महसूस कीजिए फ़िर देखिए कैसा मन प्रफ़ुल्ल होगा l 

लेकिन जीवन की सच्चाई तो संघर्ष है बिना संघर्ष के कुछ नहीं है जो व्यक्ति आज अपना जीवन एक स्वतंत्र जीवन जी रहा है जरा उसके पास बैठकर उसके समुद्र रूपी ह्रदयावरण को हल्का सा अनावरण करके देखिए तब आपको वही देखने को मिलेगा जिस दौर से आप भी गुज़र रहे होंगे या गुज़र चुके होंगे और जब तक आप कठिनाईयों से परिचित नहीं होंगे,उनसे जीत नहीं पाएँगे तब तक तनाव मुक्त जीवन असम्भव है क्योंकि जब हम कठिनाईयों को ही जीत लेंगे फ़िर कभी भी कहीं भी उसे हरा सकते हैं और जीवन को जीवन अपने तरीके से पेश कर सकते हैं सबके सामने जिसे देखकर सब यही कहेंगे इसे कहते हैं "जीवन"

भयभीत होकर जिंदगी की राह में शिवम चलना पड़ा l 
हमने सबका साथ दिया मुझे अकेले ही चलना पड़ा ll 

मुझे जिंदगी में हार तब तक नहीं माननी चाहिए जब तक कि खुद में एक भी अगर साँस बाकी हो प्रयत्न की कोई समयसीमा नहीं होती है और न ही होनी चाहिए 
ये दुनियाँ में मात्र एकलौती जंग "जिंदगी" ही है जिसमें पक्ष और विपक्ष हम ही होते हैं या फ़िर कहें कि "योद्धा भी हम होते हैं और कायर भी"
इस जंग में हम अकेले ही होते हैं कोई भी चाहकर भी साथ नहीं दे सकता है,ये जंग जीतना बहुत ही बड़ी बात होती क्योंकि दुनियाँ की हर जंग में मेरे साथ कोई न कोई जरूर होता है l 

आज जिंदगी की जंग में लड़ ले अकेले l 
बार-बार मौके ऐसे मिलते नहीं हैं अकेले ll 

जीत का प्रयास लेकर बढ़ता चल अब तू अकेले l 
ये खुद ही खुद से जंग है जिसे जीतना है अब अकेले ll 

       लेखक
 शिवम अन्तापुरिया 
    उत्तर प्रदेश

"चला ढूँढने"

"चला ढूँढने"

द्वन्द हुआ विवशताओं का 
 आखिर क्या आयाम हुआ 
 नज़र उठाकर देखा सबने 
 दुनियाँ का क्या हाल हुआ 

चले सभी को अपना करने 
पराया खुद को बना लिया 
दुनियाँ ने तो बहुत नाम दिए 
हमने तो पागल नाम लिया 

मुझे तो जरा-जरा सी बातों में 
क्यों हर रोज़ दबाया जाता है 
यूँ अपनों का अपनत्व नहीं है 
अरे फ़िर गैरों का क्या नाता है 

चला ढूँढने उसको था जो 
वो खुद ही गुम हो जाता है 
प्यार मोहब्बत चीज बड़ी है 
वो दुश्मनी भी न कर पाता है 


          रचयिता 
 ~ शिवम अन्तापुरिया 
     कानपुर उत्तर प्रदेश

"मैं हूँँ"

    प्रेम के बाद कोरोना ही ऐसी 
महामारी बीमारी है जो कि लाइलाज है...

 " मैं हूँ "

हताश हूँ, मैं 
निराश हूँ, मैं 
लाचार हूँ, मैं 
उदास हूँ, मैं 
मगर अब, मैं 
थोड़ा खुद से 
आज़ाद हूँ, मैं 

सभी के दिल 
से बहार हूँ, मैं 
लेकिन सावन 
की बहार हूँ, मैं 
भले वर्षा की हो 
बूँद आँशू की हूँ, मैं 


फ़सल की लहर 
भी हूँ, मैं 
किसी के लिए 
जहर भी हूँ, मैं 
खुद आवाद 
होकर भी 
पीड़ा की आवाज़ 
भी हूँ, मैं 

       रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश

रक्षा का बंधन

पूरे सबके इरादे भी हो जाएँगे 
थोड़ा सा अब समय भी मुझे दीजिए 

शिवम अन्तापुरिया
"दुनियाँ में एकलौती जंग जिंदगी ही है जिसमें योद्घा भी हम होते हैं और कायर भी"

शिवम अन्तापुरिया
आपके हाल फ़िर 
आज यूँ जान कर 
दिल हुआ है खुशी 
प्यार को देख कर 

शिवम अन्तापुरियाहमारे बेहद अजीज पूरक मित्र से बड़कर भाई यथार्थवादी कवि लोकेश "अथक" बदायूँ {उ• प्र•} को 

   *शादी सालगिराह मुबारक*

जीवन के हर हाल में तुमको रहना है 
प्रेम पाड़ बनवारी जैसा "अथक" 
तुम्हीं को देना है 
आसमान भर सालगिराह मुबारक हो तुमको 
दो वर्षों की बात क्या दो सौ साल साथ में रहना है 

     शिवम अन्तापुरिया 
         उत्तर प्रदेश

बहुत लिखना पड़ा हमको 
बहुत सहना पड़ा हमको 
जिंदगी के पड़ाओं में 
बहुत चलना पड़ा हमको 

शिवम अन्तापुरिया

जिंदगी में जिंदगी से गलतियाँ होती ही रहतीं हैं
 
मगर गलती से गलतियों को जिंदगी बनाने की गलती मत करना 

शिवम अन्तापुरिया

जीते जी जिंदगी अब कहाँ आ गई 
लोग समझें तुम्हें नौबतें आ गईं 
जख्म एक और दो से न जब मन भरा 
सिर पे दुनियाँ की सारी उलझने आ गईं 

शिवम अन्तापुरिया

जब जुनून हो दिल में तो मन ठहर नहीं सकता l 

जो लिखा हो मुकद्दर में उसे कोई छीन नहीं सकता ll 

शिवम अन्तापुरिया

ये जीवन एक ख्वाबों,ख्यालों,उम्मीदों,मुश्किलों और उलझनों से भरा शहर है l

कुछ तो आराम से जिंदगी जिया करते हैं 
बाकी पर तो समस्याओं का कहर है ll 

शिवम अन्तापुरिया

दिल की मायूसी बहुत कुछ बता जाती है 
चेहरे की खामोशी बहुत कुछ जता जाती है 
मगर जब कुछ खोने के लिए नहीं होता 
तब जिंदगी पाने के लिए बहुत कुछ दिखा जाती है 

शिवम अन्तापुरिया

कभी तुमसे नहीं रूठे 
कभी हमसे नहीं रूठे
नज़ाकत है मेरी ये ही
जमाना भी नहीं रूठे 

शिवम अन्तापुरिया

मेरी जिंदगी में लोग ऐसे आने की कोशिश करते हैं! 
जैसे कि लोग बिना दरवाजे के घर में दाखिल होते हैं !!

शिवम अन्तापुरिया
 बहुत कुछ देख लिया है अबतक सत्ता की तलवारों में 

जो न्याय नहीं दे पाते हैं खुद के ही दरबारों में 

शिवम अन्तापुरिया

मैं कुछ गलत,कुछ सही,कुछ अच्छा, कुछ खराब भी हूँ ! 
तभी तो कुछ लोगों को लगता है 
कि मैं उनके खेलने का खिलौना भी हूँ !!

शिवम अन्तापुरिया

अब हर हाथों में फ़ौलादी भरना ही है काम मेरा 
भरतभूमि के कण कण में हैं वीरों का यशगान लिखा 
शिवम अन्तापुरिया
जिंदगी में बहुत सी बेचैनियाँ पाई जाती हैं 

फ़िर भी ये बेचैनियाँ मनुष्य से ही निभाई जाती हैं 


शिवम अन्तापुरिया

आज जिंदगी की जंग में लड़ ले अकेले l 
बार-बार मौके ऐसे मिलते नहीं हैं अकेले ll 

जीत का प्रयास लेकर बढ़ता चल अब तू अकेले l 
ये खुद ही खुद से जंग है जिसे जीतना है अब अकेले ll 

       लेखक
 शिवम अन्तापुरिया 
    उत्तर प्रदेश

खुशहाल_नागपंचमी 

जिनके शीश पर हर-दम सधा भू-लोक रहता है !!
उन्हीं के रोज चरणों में झुका मेरा शीश रहता है !!
ये नाग देवता पूज्य हैं सबके सदा हैं पूजते आए !!
क्षीर निवास है उनका पर्व नागपंचमी याद रहता है !!


           शिवम अन्तापुरिया


"रक्षा का बंधन" 

ये तेरे धागे का हम बंधन कभी न छूटने देंगे 
तेरी रक्षा हर वादा अब अपने शीश हम लेंगे 
गलत नज़रें उठें तुम पे वो आँखें फ़ोड़ देंगे हम 
मेरी बहना तेरे दामन में खुशियाँ बाँध देंगे हम 


तेरी रक्षा का है बंधन इसे न तोड़ देना तुम 
ये रिश्तों का है बंधन इसे न छोड़ देना तुम
मेरी बहना मेरी सबकुछ मेरी शान भी हो तुम 
मेरे हर मुकामों की बुलंद आवाज भी हो तुम

         रचयिता 
  ~ शिवम अन्तापुरिया 
     कानपुर उत्तर प्रदेश