1- धार एक आधार हजारों
जीवन का आधार है बेटी
जीवन के हर चल चित्रों में
पावन एक चरित्र है बेटी
2- बहती गंगा धार है बेटी
संगम का भी द्वार है बेटी
पद्चिन्हों पर चलें जो उनके
पावन सी वो राह है बेटी
3- जीवन के हर सुख-दुःख में
भी ठण्डी ठण्डी छाँव है बेटी
राह में चलते भटक जो जाएँ
उनको तो सत्मार्ग है बेटी
4- बहती निश्छल धार धरा पर
इसका भी प्रमाण है बेटी
प्रेम भाव में बहती नैया
प्रेम में अमृत की बूँद है बेटी
5- सत्यकर्म और दान-धर्म से
जीवन में आती है बेटी
कर्म द्वार से फ़ल की इच्छा
तेरे स्वर्ग का द्वार है बेटी
6- कहीं है माता कहीं है बहना
कहीं तो पत्नी रूप है बेटी
कहीं उजाला कहीं अँधेरा
कहीं तो जीवन ज्योति है बेटी
7- हर दिल की अवाज़ है बेटी
सुन्दर,स्वच्छ प्रकाश है बेटी
भरतखंड और चहुँ देशों में
सबका तो अभिमान है बेटी
~ रचयिता
•शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश•
No comments:
Post a Comment