Sunday, March 15, 2020

समय की तरह

"समय की तरह"

   कितनी भी विषम परिस्थिति बनीं हों
   घड़ी की सुईयाँ पीछे मुड़ती नहीं हैं 
  सीख लेते चलें हम जिंदगी की घड़ी से 
    फ़िर भी इरादे हमारे बदलते नहीं हैं 

 अपनी मंज़िल की तरफ़ अगर बढ़ोगे तुम 
   कठिन मोड़ जीवन में आते रहेंगे 
   विचलित होकर जो मुँह मोड़ लेंगे 
    वो तो ऐसे ही मायूस होते रहेंगे 

जो घबराए नहीं हैं विपरीत मोड़ों से 
  जिसने चुभते रास्ते छोड़े नहीं हैं 
सफ़लता सदा ही मिली है उन्हीं को 
जो असफलताओं से लड़ते रहे हैं 

           रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

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