प्यार भाषा कोई और समझता नहीं
जिद अपनी के आगे कुछ भी सुनता नहीं
प्यार में जो सराबोर हो हैं गए
वो जमाने के परिणामों से डरते नहीं
प्रेम नयनों से लेकर हृदय तक गया
कुछ मिल गया कुछ खो भी गया
प्रेम इतना बढ़ा कि खो ही गए
दिल का एक कोना ही समुंदर हो गया
रचयिता
~ शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश
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