तुम्हारे ख्यालों की
दुनियाँ में आकर
सियासत मेरे में
उतरती नहीं हैं
जरा अपने गम का
लिबास तुम उतारो
बिना तेरे खुशियाँँ
ये उभरती नहीं हैं
आज कुछ महफ़ूज
सारे गम होने लगे
तेरे चाहत के इरादे
अब बनने लगे
हम शाम सुबह की
परवाह क्या करें
वो हर मोड़ पर मेरे
साथ चलने लगे
रचयिता
~ शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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