"जेलों में भी करें कोरोना से बचाव"
आज पूरी दुनियाँ में हाहाकार मचा हुआ है कही पर कोरोना का कहर है तो कही कोरोना भय सता रहा है सभी को लोग तरह तरह की बातें भी कर रहे हैं, ऐसी विषम परिस्थिति में हम आपको रूबरू कराते हैं सबसे अलग हटकर जिस पर शायद ही आपका ध्यान गया हो आपने एक कहावत खूब सुनी होगी कि 'एक चावल देखकर ही पता चल जाता है कि पक गए कि नहीं' ठीक उसी प्रकार मेरा मानना कि जो व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार करके अपने आप को अच्छे रास्ते पर लाना चाहता है वो कुछ ही यातनाओं से गुज़र कर संभल जाता है और जो सुधरना नहीं चाहते उन्हें कितनी भी यातनाएँ दें आप वो वैसे ही रहेंगे। इसीलिए मेरा निवेदन भारत सरकार व उच्च न्यायालय से कि आप कोरोना वायरस को देखते हुए जो हर दिन अपने पाँव पसारता जा रहा है भारत में भी और कोरोना के बचाव के लिए एक दूसरे से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना जरूरी है तब आपको मैं भारत की तिहाड़ जेल से इस प्रकार मिलवाता हूँ...
तिहाड़ जेल में क्षमता 5200 कैदी रखने की है और कैदी 12 हजार हैं जिससे बहुत परेशानी है,
तिहाड़ की तीन जेल में हालात इतने बुरे हैं कि यहाँ सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। इन तीनों जेलों में क्षमता से 4 गुना से भी अधिक कैदी बंद हैं।
आँकड़ों के मुताबिक़ नई दिल्ली
तिहाड़ जेल में रेड अलर्ट वाली स्थिति बन गई है। 5200 कैदियों की क्षमता वाली यहां की 9 जेल में इस समय 12 हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं। बावजूद इसके यहां दिन-प्रतिदिन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। तिहाड़ की तीन जेल में हालात इतने बुरे हैं कि यहां सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। इन तीनों जेल में क्षमता से 4 गुना से भी अधिक कैदी बंद हैं।
बताया जाता है कि तिहाड़ में कैदियों की यह रिकॉर्ड संख्या देश की अन्य किसी भी जेल के मुकाबले सबसे अधिक है। कैदियों की बढ़ती भीड़ यहां विस्फोटक स्थिति पैदा करती जा रही है। ऐसे में अगर यहां कैदी मिलकर कोई दंगा कर दें तो जेल प्रशासन के पास अपना इतना स्टाफ नहीं है कि वह इन्हें कंट्रोल कर सके।इसलिए मैं कहना चाहता हूँ जो कैदी जिनपर कोई ज्यादा भारी या संगीन अपराध नहीं हैं छोटे मोटे केश में बन्द और जिनका अपराध 1-3 साल सजा की श्रेणी में आता हो और जिनकी सज़ा पूरी ही होने वाली हो उनको रिहा या जमानत देकर बाहर कर दिया जाए जिससे जेल प्रबंधन को और कैदियों को भी राहत की साँसें मिल सकें और बात ये भी है जेलों में बन्द इसका मतलब ये तो नहीं है कि वो इंशान नहीं हैं और हाँ ये जरूरी नहीं है कि वो अपराधी ही हैं मेरे ख्याल से लगभग 25-40% तो फ़र्जी अपराध में ही जेल काट रहे हैं। तिहाड़ के अडिशनल आईजी राजकुमार से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि यहां क्षमता से कहीं अधिक कैदी आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैदियों को जेल में आने से रोकना उनके हाथ में नहीं है। इसके लिए यही विकल्प है कि नई जेलें बनाईं जाएं। जिससे कि यहां के कैदियों को शिफ्ट किया जा सके। लेकिन यह इतना आसान नहीं है।जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखना ओवरलोड की कहा जाएगा जिस ओवरलोड पर सरकार आम जनता से जुर्माना वसूलती है वहीं खुद इन नियमों का उल्लंघन कर रही हैं सरकार इसका जुर्माना कौन किसे भरेगा ।
आंकड़ों पर गौर किया जाए तो तिहाड़ जेल प्रशासन के दायरे में तिहाड़ के अलावा रोहिणी और नई बनी मंडोली जेल भी आती है। इन तीनों परिसर में 16 जेल बनीं हुई हैं। जिनमें से 9 जेल तिहाड़ कैंपस में हैं। इन तमाम 16 जेलों में 10026 कैदियों को रखने की क्षमता है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर, 2016 तक देश के 1412 जेलों में 4,33,003 कैदी बंद थे. जबकि इन जेलों में 3,80,876 कैदियों को ही रखने की क्षमता है. उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां की जेलों में 95,336 कैदी कैद हैं जबकि यहां पर महज 58,111 कैदियों को रखने की क्षमता है.28 जून 2019 तक
भारतीय जेलों में 48 लाख से ज्यादा कैदी कैद हो चुके थे ।
आप पढकर खुद ही समझ सकते हैं जेलों में कोरोना बचाव को लेकर क्या कैदी एक दूसरे से 1 मीटर की दूरी रख पा रहे होंगे
इसलिए जेलों को खाली कराना अतिआवश्यक जरूरी है नहीं तो अगर कही इस महामारी के कदम यहाँ तक पहुँच गए तो इटली चीन जैसे हालात भारत में भी हो सकते हैं अभी भारत सरकार के लिए बहुत सवेरा सोचने के लिए कैदियों को करने के बाद ये भी पता चल जाएगा कि उनमें कितना सुधार हुआ है या नहीं अगर जिनमें कोई सुधार नजर ना आए तो उन्हें हालात सामान्य होने पर फ़िर कैद में रख लें क्योंकि गलतियां सभी से होती हैं लेकिन उन्हें खुद को सुधार मौके भी दिए जाने चाहिए... जैसे
रहीम जी ने भी आगाह किया कि
क्षमा बढ़न को चाहिए, छोटन को अधिकार
का रहीम हरि को घटो,भृगु ने मारी लात
युवा लेखक/कवि
शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश