Monday, March 30, 2020

आज पूरा भारत....

आज पूरा भारत कोरोना के आने बाद से लाॅकडाउन के चपेट में है 
ऐसे में अपना कर्तव्य है कि साथ आए... 
लेकिन यहीं पर देखा जाता है कि एक पिता (किसान) का फ़र्ज़ क्या होता जो अपनी परवाह न करते हुए खेतों पर फ़सल उगाने में लगे हुए हैं (ऐसा नहीं है कि वे नियमों का अनुसरण नहीं कर रहे हैं वो तो एक-दूसरे से 1मीटर से भी दूरी अधिक बनाए हुए अपना काम कर रहे ज्यादातर अकेले ही खेतों में काम कर रहे हैं) क्योंकि #कोरोना आज नहीं तो कल खतम हो ही जाएगा अगर मेरा अनाज नहीं उगा या खेतों में ही पड़ा रहा तो मेरे देश के प्यारे लोग खाएँगे क्या ?...

तब कानपुर देहात से लिखते हैं.. शिवम अन्तापुरिया अपनी ये पंक्तियाँ किसानों के प्रति..

जय जवान, जय किसान 
धन जवान, धान किसान 


आज केवल किसान,जवान,पुलिस,डाॅक्टर 
यही लाॅकडाउन के समय में भी 
अपने काम की जिम्मेदारी निभा रहे हैं... 


देखो तबाही के वो मन्ज़र आज हैं दिखने लगे 
नाम से कोरोना के हैं हाथों से हाथ छूटने लगे 
डर भयंकर फ़ैल जाए चाहें हो मुश्किल बड़ी 
निर्भीक होकर खेतों में किसान काम करने लगे 


    शिवम अन्तापुरिया
        उत्तर प्रदेश 
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हाथ में एक अँगूठी है हज़ारों की निशानी है मोहब्बत एक करती है हज़ारों की कहानी है शिवम अन्तापुरिया

"ज्योति है बेटी"

"ज्योति है बेटी"


1- धार एक आधार हजारों 
   जीवन का आधार है बेटी 
   जीवन के हर चल चित्रों में 
   पावन एक चरित्र है बेटी 

2- बहती गंगा धार है बेटी 
    संगम का भी द्वार है बेटी 
   पद्चिन्हों पर चलें जो उनके 
    पावन सी वो राह है बेटी 

 3- जीवन के हर सुख-दुःख में 
   भी ठण्डी ठण्डी छाँव है बेटी 
   राह में चलते भटक जो जाएँ 
     उनको तो सत्मार्ग है बेटी 

4- बहती निश्छल धार धरा पर 
     इसका भी प्रमाण है बेटी 
     प्रेम भाव में बहती नैया
     प्रेम में अमृत की बूँद है बेटी 

5- सत्यकर्म और दान-धर्म से 
     जीवन में आती है बेटी 
   कर्म द्वार से फ़ल की इच्छा 
     तेरे स्वर्ग का द्वार है बेटी 

6- कहीं है माता कहीं है बहना 
    कहीं तो पत्नी रूप है बेटी 
    कहीं उजाला कहीं अँधेरा 
 कहीं तो जीवन ज्योति है बेटी 

7- हर दिल की अवाज़ है बेटी 
    सुन्दर,स्वच्छ प्रकाश है बेटी 
     भरतखंड और चहुँ देशों में 
    सबका तो अभिमान है बेटी 

        ~ रचयिता 
•शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश•

Thursday, March 26, 2020

पहला सीना मेरा हो

"पहला सीना मेरा हो"

आज बहुत गुस्से में लिख रहा हूँ ...
जब हम कोरोना कोरोना जैसे शब्द अपने आस-पास के परिवेश में सुन रहे थे और उससे बचाव भी कर रहे थे,बचाव के लिए लोग अपने-अपने घरों में कैद हो चुके थे,कई प्रकार के बचाव के तरीके अपना रहे थे,सड़को, गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था,आज वो दिन था रविवार का जिस दिन एक परिवार बहुत दिनों बाद एकसाथ बैठा था अपने के बहुत करीब था वो दिन कोई ऐसे वैसे नहीं बल्कि एक सम्भावित भारी महामारी की वजह से आया था 
जिसकी असली कारण कोरोना वाइरस था। सबसे बड़ी बात कि आज भारत बंद था।

जब हम अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे थे,तब मेरे देश के जवान अपने आपको दुश्मनों को मुँह तोड़ जवाब देते हुए उनका सामना कर रहे होते हैं उनसे लड़ते-लड़ते अपनी माता भारती की गोद में सो जाते हैं।तब ऐसा प्रतीत होता है मानों कोई मासूम सा बच्चा अपनी माँ की गोद में हँसते-हँसते सो गया हो। 

ये सब होता रहा देश में और हम एक कोरोना के चक्कर में वक्त जाया करते रहे।
अब मैं भारतीय हुकूमतों से प्रश्न करता हूँ कि आखिर जब भारत बंद था फ़िर ये सब कैसे हुआ l 

साहब! बात सत्रह जवानों के शहीद होने की तो है ही लेकिन ये बात उनकी भी है जिनकी फोटो तक भी अखबार नहीं छपती है, जिनकी खबर भी हफ़्तों नहीं छपती जबकि वही हैं मेरे देश असली हीरो l 

नेता जी बात मात्र संवेदना व्यक्त करने की नहीं है 
बात मात्र सत्रह परिवारों की नहीं है 
बात मात्र सत्रह पिताओं की नहीं है 
बात मात्र सत्रह माताओं की नहीं है 
बात मात्र सत्रह स्त्रियों की नहीं है 
बात मात्र सत्रह सूने माथों की नहीं है 
बात मात्र सत्रह बाहनों की नहीं है 
बात मात्र सत्रह भाईयों की नहीं है 
बात है तो मात्र शहीद जवानों के बेटों और बेटियों की,उनके उम्मीदों की है।

शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश 


"जेलों में भी करें कोरोना से बचाव"

"जेलों में भी करें कोरोना से बचाव"

आज पूरी दुनियाँ में हाहाकार मचा हुआ है कही पर कोरोना का कहर है तो कही कोरोना भय सता रहा है सभी को लोग तरह तरह की बातें भी कर रहे हैं, ऐसी विषम परिस्थिति में हम आपको रूबरू कराते हैं सबसे अलग हटकर जिस पर शायद ही आपका ध्यान गया हो आपने एक कहावत खूब सुनी होगी कि 'एक चावल देखकर ही पता चल जाता है कि पक गए कि नहीं' ठीक उसी प्रकार मेरा मानना कि जो व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार करके अपने आप को अच्छे रास्ते पर लाना चाहता है वो कुछ ही यातनाओं से गुज़र कर संभल जाता है और जो सुधरना नहीं चाहते उन्हें कितनी भी यातनाएँ दें आप वो वैसे ही रहेंगे। इसीलिए मेरा निवेदन भारत सरकार व उच्च न्यायालय से कि आप कोरोना वायरस को देखते हुए जो हर दिन अपने पाँव पसारता जा रहा है भारत में भी और कोरोना के बचाव के लिए एक दूसरे से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना जरूरी है तब आपको मैं भारत की तिहाड़ जेल से इस प्रकार मिलवाता हूँ... 

तिहाड़ जेल में क्षमता 5200 कैदी रखने की है और कैदी 12 हजार हैं जिससे बहुत परेशानी है,
तिहाड़ की तीन जेल में हालात इतने बुरे हैं कि यहाँ सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। इन तीनों जेलों में क्षमता से 4 गुना से भी अधिक कैदी बंद हैं।
आँकड़ों के मुताबिक़ नई दिल्ली
तिहाड़ जेल में रेड अलर्ट वाली स्थिति बन गई है। 5200 कैदियों की क्षमता वाली यहां की 9 जेल में इस समय 12 हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं। बावजूद इसके यहां दिन-प्रतिदिन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। तिहाड़ की तीन जेल में हालात इतने बुरे हैं कि यहां सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। इन तीनों जेल में क्षमता से 4 गुना से भी अधिक कैदी बंद हैं।

बताया जाता है कि तिहाड़ में कैदियों की यह रिकॉर्ड संख्या देश की अन्य किसी भी जेल के मुकाबले सबसे अधिक है। कैदियों की बढ़ती भीड़ यहां विस्फोटक स्थिति पैदा करती जा रही है। ऐसे में अगर यहां कैदी मिलकर कोई दंगा कर दें तो जेल प्रशासन के पास अपना इतना स्टाफ नहीं है कि वह इन्हें कंट्रोल कर सके।इसलिए मैं कहना चाहता हूँ जो कैदी जिनपर कोई ज्यादा भारी या संगीन अपराध नहीं हैं छोटे मोटे केश में बन्द और जिनका अपराध 1-3 साल सजा की श्रेणी में आता हो और जिनकी सज़ा पूरी ही होने वाली हो उनको रिहा या जमानत देकर बाहर कर दिया जाए जिससे जेल प्रबंधन को और कैदियों को भी राहत की साँसें  मिल सकें और बात ये भी है जेलों में बन्द इसका मतलब ये तो नहीं है कि वो इंशान नहीं हैं और हाँ ये जरूरी नहीं है कि वो अपराधी ही हैं मेरे ख्याल से लगभग 25-40% तो फ़र्जी अपराध में ही जेल काट रहे हैं। तिहाड़ के अडिशनल आईजी राजकुमार से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि यहां क्षमता से कहीं अधिक कैदी आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैदियों को जेल में आने से रोकना उनके हाथ में नहीं है। इसके लिए यही विकल्प है कि नई जेलें बनाईं जाएं। जिससे कि यहां के कैदियों को शिफ्ट किया जा सके। लेकिन यह इतना आसान नहीं है।जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखना ओवरलोड की कहा जाएगा जिस ओवरलोड पर सरकार आम जनता से जुर्माना वसूलती है वहीं खुद इन नियमों का उल्लंघन कर रही हैं सरकार इसका जुर्माना कौन किसे भरेगा ।

आंकड़ों पर गौर किया जाए तो तिहाड़ जेल प्रशासन के दायरे में तिहाड़ के अलावा रोहिणी और नई बनी मंडोली जेल भी आती है। इन तीनों परिसर में 16 जेल बनीं हुई हैं। जिनमें से 9 जेल तिहाड़ कैंपस में हैं। इन तमाम 16 जेलों में 10026 कैदियों को रखने की क्षमता है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर, 2016 तक देश के 1412 जेलों में 4,33,003 कैदी बंद थे. जबकि इन जेलों में 3,80,876 कैदियों को ही रखने की क्षमता है. उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां की जेलों में 95,336 कैदी कैद हैं जबकि यहां पर महज 58,111 कैदियों को रखने की क्षमता है.28 जून 2019 तक 
भारतीय जेलों में 48 लाख से ज्यादा कैदी कैद हो चुके थे ।

आप पढकर खुद ही समझ सकते हैं जेलों में कोरोना बचाव को लेकर क्या कैदी एक दूसरे से 1 मीटर की दूरी रख पा रहे होंगे 
इसलिए जेलों को खाली कराना अतिआवश्यक जरूरी है नहीं तो अगर कही इस महामारी के कदम यहाँ तक पहुँच गए तो इटली चीन जैसे हालात भारत में भी हो सकते हैं अभी भारत सरकार के लिए बहुत सवेरा सोचने के लिए कैदियों को करने के बाद ये भी पता चल जाएगा कि उनमें कितना सुधार हुआ है या नहीं अगर जिनमें कोई सुधार नजर ना आए तो उन्हें हालात सामान्य होने पर फ़िर कैद में रख लें क्योंकि गलतियां सभी से होती हैं लेकिन उन्हें खुद को सुधार मौके भी दिए जाने चाहिए... जैसे 
रहीम जी ने भी आगाह किया कि 

क्षमा बढ़न को चाहिए, छोटन को अधिकार 
का रहीम हरि को घटो,भृगु ने मारी लात 

  युवा लेखक/कवि 
  शिवम अन्तापुरिया
   कानपुर उत्तर प्रदेश

Monday, March 23, 2020

चलने लगे

"चलने लगे"

तुम्हारे ख्यालों की 
दुनियाँ में आकर 
सियासत मेरे में 
उतरती नहीं हैं

जरा अपने गम का 
लिबास तुम उतारो 
बिना तेरे खुशियाँँ 
ये उभरती नहीं हैं 

आज कुछ महफ़ूज 
सारे गम होने लगे 
तेरे चाहत के इरादे 
 अब बनने लगे 

हम शाम सुबह की 
परवाह क्या करें 
वो हर मोड़ पर मेरे 
 साथ चलने लगे 

        रचयिता 
~ शिवम अन्तापुरिया 
     उत्तर प्रदेश

Friday, March 20, 2020

कभी कभी

कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं !
कि
लिखने को शब्द नहीं मिल पाते हैं !!

शिवम अन्तापुरिया

गर माँ की ममताओं का भण्डार खतम हो जाएगा 
सच कहता हूँ इस दुनियाँ में भूचाल सा आ जाएगा 

शिवम अन्तापुरिया

ये सियासत तेरे बिन न कर पाऊँगा 
तू शराब है ये नशा मैं न कर पाऊँगा 

शिवम अन्तापुरिया

Thursday, March 19, 2020

जन्मदिन मुबारक हो 31 मार्च को रुद्र देव सिंह को

"जन्मदिन मुबारक रुद्र देव को"

  ढेरों हैं मुबारकबाद
 ये दिन आया है एक साल बाद 
  तुम जिओ हजारों साल 
दुनियाँ को देना नई मिसाल 

   नाम है रुद्र कमाल 
तुम हो सबके लाडले लाल 
अगली पीढ़ी की पतवार 
  सौंपी है तुम्हारे हाथ 

   इसे रखना बेमिसाल 
ऐसा करना है तुमको काम 
    दुनियाँ लेगी नाम 

शिवम अन्तापुरिया

माँ पर एक शेर शिवम अन्तापुरिया का

हर पल तुम्हारी मुझे याद आए 
यहाँ से बिछड़ कर बहुत दूर जाए !
कितने शलीके से पाला था उसने 
मेरी माँ तेरी याद हर पल रुलाए !!
शिवम अन्तापुरिया

कोरोना

मुद्दतों के बाद ही कुछ मिलता है !
पहले तो सब कुछ बिखरता है !!

सराहना कोई भी कर देगा मगर 
मुझे अपनी आलोचना सुनना पसंद है न कि सराहना 
क्योंकि आलोचना से अपनी गलतियों को सुधारने में सहयोग मिलता है 

शिवम अन्तापुरिया

मोहब्बत इशारों से ही शुरू होती है 
फ़िर हक़ीक़त में बदल जाती है 

शिवम अन्तापुरिया

किसी के इश्क की बारात बनकर वो गया नहीं 
जिंदगी कुछ भी करे मगर वो डरा नहीं 
शिवम अन्तापुरिया

गाँव की हर बात अलग होती है 
पल पल खुशियाँ साथ होती हैं 

शिवम अन्तापुरिया

वो तो हमसे शर्मा गए 
मामले जो भी थे सब गर्मा गए 

    शिवम अन्तापुरिया

बे वक्त जब हम किसी राह से निकलते हैं तो अक्सर लोग मुझे टोक देते हैं 
अरे शिवम कहाँ जा रहा है तू चलते चलते लोग मुझे रोक लेते हैं 

शिवम अन्तापुरिया

लोग रोज खूब छलाया करते हैं 

लोग अपनो को ही पराया करते हैं 

शिवम अन्तापुरिया

पहले दुनियाँ को देखकर फ़िल्में बनती थी 
अब फ़िल्मों में जो हुआ वो दुनियाँ में हो रहा हैचिन्ता मुक्त रहें, सदा व्यस्त रहें 

       शिवम अन्तापुरिया
जरा जरा सी बात पर रोना नहीं है! 
हर कोई की खाँसी में कोरोना नहीं है!! 

शिवम अन्तापुरिया

Sunday, March 15, 2020

ये क्या क्या क्या है

घर से निकले हैं बाहर जाएँगे 
होली के रंग में अब रंग जाएँगे 

शिवम अन्तापुरिया

ये सब कुछ क्या है 
हम और तुम क्या है 
तू तू करता वो क्या है 
अपने में लीन वो क्या है 
मेरा मेरा मेरा वो क्या है 

शिवम अन्तापुरिया

ये प्यार ही एक ऐसा है जिसमें सब कुछ मिलता है -दर्द,विरह-वेदना,दुःख,हँसी,खुशी,बीमारी
ये सब और कहीं न मिलेगा एक साथ

"एक सफ़र"

"एक सफ़र"

तुम्हें प्यार इतना जहाँ में यूँ देकर 
अँधेरों से हमको हैं अँधेरे मिटाने 
यही प्यार का एक 
          सफ़र कर रहे हैं 
तुम्हारे सिवा और क्या है हमारा 
नज़र से नज़र मिल रहीं हैं हमारी
  अब यार तुम न बहाने बनाना 

नज़र प्यार से एक हमारी 
मिली जब 
मेरे दिल का कुछ भी रहा न ठिकाना 
मोहब्बत की नई राहों पे चल 
रहा हूँ 
मेरे साथ को तुम नहीं ठुकराना 

शिवम अन्तापुरिया 

हम लिख दें

"हम लिख दें"

सियासत का यही मंज़र 
 कभी तेरा कभी मेरा 
मोहब्बत भी सियासत है 
कभी तुझसे कभी मुझसे 

मैं रहकर दूर उससे भी 
 नहीं हूँ दूर नहीं हूँ दूर 
ये चाहत ही अनोखी है 
न तुम भूले न हम भूले 

चलो एक बात को लिख दें 
    तेरा हूँ मैं मेरी है वो 
   जीवन भी कहानी है 
    जरा तुम लिख दो 
    जरा हम लिख दें 

    ~ रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
 कानपुर उत्तर प्रदेश

प्यार की भाषा

"प्यार की भाषा"

प्यार भाषा कोई और समझता नहीं 
जिद अपनी के आगे कुछ भी सुनता नहीं 
प्यार में जो सराबोर हो हैं गए 
वो जमाने के परिणामों से डरते नहीं 

प्रेम नयनों से लेकर हृदय तक गया 
कुछ मिल गया कुछ खो भी गया 
प्रेम इतना बढ़ा कि खो ही गए 
दिल का एक कोना ही समुंदर हो गया 
         रचयिता 
~ शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश

समय की तरह

"समय की तरह"

   कितनी भी विषम परिस्थिति बनीं हों
   घड़ी की सुईयाँ पीछे मुड़ती नहीं हैं 
  सीख लेते चलें हम जिंदगी की घड़ी से 
    फ़िर भी इरादे हमारे बदलते नहीं हैं 

 अपनी मंज़िल की तरफ़ अगर बढ़ोगे तुम 
   कठिन मोड़ जीवन में आते रहेंगे 
   विचलित होकर जो मुँह मोड़ लेंगे 
    वो तो ऐसे ही मायूस होते रहेंगे 

जो घबराए नहीं हैं विपरीत मोड़ों से 
  जिसने चुभते रास्ते छोड़े नहीं हैं 
सफ़लता सदा ही मिली है उन्हीं को 
जो असफलताओं से लड़ते रहे हैं 

           रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया उत्तर प्रदेश