Monday, February 10, 2020

कैसे समझाऊँगा

"कैसे समझाऊँगा"

बिना तेरे जिंदगी नहीं जी पाऊँगा 
 नादान हैं वो कैसे समझाऊँगा 
   है जिंदगी तो अँधेरों में 
कैसे उज़ाले में ला पाऊँगा 

ये दुनियाँ हर इशारे समझ 
नहीं समझती 
सबको इससे कैसे 
वाकिफ़ कराऊँगा 

ये जिंदगी सदा चलती है रहती 
अपना पता किसे कैसे दे पाऊँगा 

   रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
  कानपुर उत्तर प्रदेश

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