समझ हो तेरी फ़ितरत में तो समझ लेना
वर्ना मैं तो अकेला ही रहूँगा
शिवम अन्तापुरियातुम' '*, हो मैं # ही सही,
न * के बिना काम चलता है न # के बिना
अगर फोन रखते हो तो.....
अगर हम #ही न होते तो तुम * कहाँ से बनते..
नवाबों का शहर तहज़ीबों की गलियाँ
आज जा रहे हैं छोड़ करके ये गलियाँ
वक्त ए़ मोहब्बत ऐसे हीे साथ देना
फिर से ज़ल्दी बुलाएँ ये गलियाँ
शिवम अन्तापुरिया
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