लिख दिए वो खत तुम्हें जो कह नहीं हम पाए थे
वो कठिन सा दौर था जो सह नहीं तुम पाए थे
जिंदगी में एक घड़ी वो और आने वाली थी
दर-बदर भटके फ़िरे तुम न खोज हमको पाए थे
हम तुम्हारे हो गए और तुम हमारे हो गए
रास्ते मंजिल वहीं थीं तुम किनारे हो गए
ये सफ़र था कुछ कठिन और तुम सरल को मुड़ गए
जीत कर भी हारे हम थे तुम फ़िर हमारे हो गए
नाम क्या दें इस सफ़र का क्या मोहब्बत है यही
उसने पगला कह दिया और खुद भी पगली हो गयी
ऐ शिवम तू बच के रहना है कहानी नयी नयी...
नाम तेरा एक है और अनगिनत वो पढ़ रही...
शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश
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