Sunday, March 3, 2019

* विचार शिवम अन्तापुरिया द्वारा लिखित

62- ये जिंदगी भी एक जंग की भाँति ही है
चाहें लोहे में लगी समझ लो या युध्द भूमि
की...
जिसको छुटाते-छुटाते व्यक्ति खुद ही अपने आपको छोङ जाता है और तब समझ पाता है कि ये जो जंग थी वो मैं खुद ही खुद से लिपटा हुआ था

63- हकीकत तो ये है कि हमेशा हार
उसी की होती है जो कोशिश करते रहते हैं
न कि उन निकम्मों की...?
क्योंकि निकम्में वही होते हैं जो कभी कोशिश किसी भी कार्य को करने की करते ही नहीं हैं
इसलिए उनकी हार नहीं होती है
और वो पहले ही मन में हार मान चुके होते हैं

64- लाठी उस भिखारी के भी हाथ में होती है
साहब!
लेकिन वी कभी जमीन से ऊपर नहीं उठती

65- जिस प्रकार माँ में कभी गोद नहीं दिखाई देती लेकिन होती है
ठीक उसी प्रकार ईश्वर शक्ति हर जगह पर व्याप्त है लेकिन हर व्यक्ति दिखाई नहीं देती

66-  मनुष्य को अपने आपको नमक के भाँति रखना चाहिए,
जिसमें कभी कीङे नहीं होते इसीप्रकार मनुष्य अपने में बुराई को जन्म भी न लेने दे

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