Sunday, March 3, 2019

"सबकुछ हैं वो"

  क्या होती है माँ
  वो माँ से पूछो
क्या होता है पिता
   वो एक पिता से पूछो |
खुद के सपनों को
   चकनाचूर करके
तुमको क्या क्या दिया
जरा मुङकर तो देखो ||

तुम अपने ही ख्वाबों में
      डूबे हो
अपनी शौक के खातिर
  ही जिद् करते हो
जरा उनके अरमानों को
उनके दिल पर हाथ
   रखकर तो देखो |
कैसा दिल होता है उनका
जरा खुद को उनमें
ढालकर तो देखो ||

   माँ-पिता ने तुमसे
कितने आसरे लगाए होंगे
   कभी खुद भी
इसपर सोचकर तो देखो |
कितने अपने हौंसलों को
   आग देकर उन्होंने
तुमको उजाले में
     ला खङा किया है
ये जरा खुद में
झाँककर तो देखो ||

~ शिवम अन्तापुरिया
-उपनाम
"निर्मोही"

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