क्या होती है माँ
वो माँ से पूछो
क्या होता है पिता
वो एक पिता से पूछो |
खुद के सपनों को
चकनाचूर करके
तुमको क्या क्या दिया
जरा मुङकर तो देखो ||
तुम अपने ही ख्वाबों में
डूबे हो
अपनी शौक के खातिर
ही जिद् करते हो
जरा उनके अरमानों को
उनके दिल पर हाथ
रखकर तो देखो |
कैसा दिल होता है उनका
जरा खुद को उनमें
ढालकर तो देखो ||
माँ-पिता ने तुमसे
कितने आसरे लगाए होंगे
कभी खुद भी
इसपर सोचकर तो देखो |
कितने अपने हौंसलों को
आग देकर उन्होंने
तुमको उजाले में
ला खङा किया है
ये जरा खुद में
झाँककर तो देखो ||
~ शिवम अन्तापुरिया
-उपनाम
"निर्मोही"
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