कविता
"जरा मरकर देखें"
अब जरा मरकर
देख लेने दे मुझे
कैसा लगता है
अहसास कर
लेने दे मुझे
मैं भी तो जानूँ
इंशानियत क्या है,
मरने की इजाजत
जरा सी दे दे मुझे,
बनकर हवा आसमान में
उङ लेने दे मुझे,
नए जीवन में
पिछले जन्म की
कुछ तो यादें
पास रखने दे मुझे,
उस स्वर्ग की खबरें
कुछ तो नर्क में
बताने दे मुझे
अब जरा मरकर
देख लेने दे मुझे...2
युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया s/o रामप्रसाद सिंह
पता अन्तापुर, हथूमा, कानपुर देहात उत्तर प्रदेश
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