"निर्झरणी"
निर्झरणी वो प्यार की..2
हर वक्त हर खुशी
सभी लहरें हो
सावन बहार की
निर्झरणी वो प्यार की..2
आसमान से टूटी बूँद
पर चौकसी मिट्टी
के हर सुकुमार की
निर्झरणी वो प्यार की..2
बादलों की बूँद को
गोद में लेने को
क्यों तरसती है
मिट्टी रेगिस्तान की
निर्झरणी वो प्यार की..2
हर वक्त पर गिरती रही
सामाँ सी झरती रही
फूलदानों की तरह
बनकरके वो फब्बार सी
निर्झरणी वो प्यार की...2
-रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
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