Monday, March 18, 2019

मोहब्ब्त

हम सबकी उन्नति का सहारा हो तुम.... 
छतरपुर की आँखो के तारा हो तुम....
गिरते हुओ के सहारा हो तुम...
तारीफ़े शब्दों में गढ़ पाउन्गा नहीं
क्योंकि...
दुनिया का हर एक इसारा हो तुम

मैं तो दीपक की तरह हूँ आप सूरज की तरह हैं

प्रेम ऐसी चीज ही है जो कभी बंधन में रह ही नहीं सकती है फ़िर चाहे वो 60+ का शक्स क्यों न हो

     शायर
तेरे प्यार का सूखा टूटा कहाँ,
वर्षों से बारिश ने मुझको देखा कहाँ,
हम तो बेउम्मीद जीते रहे,
जिंदगी ने मुझको परखा कहाँ,

मैं तुझसे दूर इतना हूँ, तू मुझसे दूर इतनी है
          मगर दुनियाँ है ये कहती
   मैं तेरा  दीवाना हूँ, तू मेरी  दीवानी  है

©•निगाहों में तेरी मेरी ..मोहब्बत की साँझ होती है..
अकेली एक तड़प मेरी.... तेरे पास रहती है

अपने प्रेम के शब्दों,,,से मैं उस पर वार करता हूँ
मैं पागल दीवाना हूँ,जो उसको प्यार करता हूँ

तेरे नाम से हारा,.. हुआ एक पैगाम हूँ मैं अब ,
तेरे इश्क में डूबा,,, हुआ एक जाम हूँ मैं अब,

  बिछड करके मोहब्बत के...सफ़र में चल रहे हैं हम
वो दीवानो की दौलत है... जिसे अपना समझ रहे हैं हम

यहाँ गुनगुनाती, ये हवाए कह रही मुझसे
      तेरा तो प्यार बाकी है,
अभी दीदार बाकी है

तेरे खातिर मेरे दिल में, अभी सद्भाव जिन्दा है...
बिछडकरके तेरे दिल से, मेरा दिल अब भी जिन्दा है..
कोई मरकर भी जिन्दा है, कोई जिन्दा भी मुर्दा है...
कोई साँसॊ से जिन्दा है, कोई बातों से जिन्दा है...
कोई रोकर भी हंसता है, कोई हंसकर भी रोता है...
तेरे खातिर....

तेरे दिल की बातें, मेरे लब्जो में ताज़ा है...
तुझे अपना बनाने का,, मेरा एक दाव जिन्दा हैं. ..
तेरे खातिर...

भरत भूमि यहाँ पर है, यहाँ उपकार अपना है..
मेरे ऊपर शहीदो का, अभी अहसान जिन्दा है...
यहाँ पर हर शहीदो के, अभी कुछ राज़ जिन्दा हैं...
अमीरो के ठाठ जिन्दा है, गरीबो के आँशू जिंदा है,,
किसी हैवान के सिर पर, अभी भी ताज़ जिन्दा हैं....
जिसे मिट्टी चटाने को, जिगर का ताव जिन्दा है...
तेरे खातिर....

Saturday, March 16, 2019

संगम है

मैं दादा श्री प्रकाश जी को कुछ पंक्तियां
समर्पित करता हूँ
फ़िर आगे बढ़ता हूँ

आप जिओ हजारों साल
ये दुआ हमारी है
तुम्हें सारी दुनिया करे प्रणाम
ये दुआ हमारी है
आप साहित्य के बनो चिराग
ये दुआ हमारी है •••®^

दादा प्रकाश जी तो उस प्रकाश स्वरूप (दीपक) की     भाँति हैं
     जिनकी दुश्मनी हमेशा अंधेरे है
फ़िर भी हवा बेवजह ही उनके खिलाफ़ है

देश तुझको कर रहा हूँ
मैं अपना जीवन समर्पित
भूलवश जो रह गया हो
कर दूँगा वो भी समर्पित
गर जरूरत पड़ी देश को
मेरे लहू की
तो कर दूँगा रगों का
लहू भी समर्पित
हैं समर्पित, हूँ समर्पित
और रहूगा भी समर्पित

शायर
इश्क के एक्शिडेन्ट में दिल टूट कर
विकलांग हो गया
सफ़र में साथ था जो दिल वो
मालामाल हो गया

ओस की बूदो से प्यास बुझती नहीं प्यारे
अब इश्क भी ओस सा ही बन गया है प्यारे
.......
बिछड करके मोह्ब्बत में तुम
मुझसे दूर न जाना
कसम तुमको तुम्हारी है
उसे भी भूल न जाना

शायर..
तेरे लाखों दिवाने हैं, जिसे मैं भी समझता हूँ,
मगर मैं तो अकेला हूँ
खुद ही खुद का दिवाना
....
   दिलो. के शाहजादो को सावधान क्या करना
चढ़ा हो तीर प्रत्यन्चा पर उसे तरकस में क्या रखना

सफ़र है ये मोह्ब्बत का अधूरा छोड़ न देना
टूटते ही बिखर जाना दिलो की आदत पुरानी है

शायर...
**मिलकरके मिलते ही जाने से 
मोहब्बत बढ़़ती जाती है
जरा हों प्यार के गर शब्द,
तो समन्दर भी दरिया बन जाती है ##

तुम सूरज हमारे हो, मैं चन्दा तुम्हरा हूँ 
तुम दिन के आशिक हो
   मैं रजनी का प्यारा (सौहर) हूँ

शायर...
जो दरिया न गहरा हो
उसमें नौका से क्या चलना

  इन्तहा दे चुके हो तुम
फ़िर जमाने से क्या डरना

ढेरों मोहब्ब्त मैं तुम्हें लाकर कहाँ से दूँ
मेरा तो दिल अकेला है ,तुम्हें लाखों कहाँ से  दूँ
जबरजस्ती करोगे तुम तो मैं रोनॆ लगून्गा यूँ
अभी तो मैं अकेला हूँ फ़िर लाखों दिल जोड़ लून्गा मैं

मुझे अपनी मोहब्ब्त का, पत्थर न समझो तुम
मैं तो बर्फ़ का टुकड़ा हूँ, मुझे पानी न समझो तुम

मुझे तुम भूल करके भी,कही यूँ भूल न जाना
मेरॆ लम्हा सँजोकरके,अपने दिल,, में बसाना
रहा जिन्दा तो फ़िर होगी, मुलाकत धरनी पर
मेरी तुम श्वाँश बनकरके, बस चलती ही यूँ  रहना

।।।
हुकूमत  बाजों से  नाराज  हूँ मैं

फ़रमान से वृक्षों पर फल नहीं  आते
तलवार से मौसम बदल नहीं जाते
           ।।।

  यहाँ की सोखती रंगत, हवाएँ भर रहीं  मुझमे़ं
चमन रेतों  में खिल जाएंगे, ऐसा कह रहीं खुद में

शायर....
जो बिछड़कर दूर मुझसे है,
       उसका नाम क्या लेना,
जो निगाहों में बसा मेरे,
       उसको याद क्या,
......
बनकर याद मैं उसके,
दिलों में बसने वाला हूँ,
जो है दे चुका धोखा,
उसी को ,
प्यार करने वाला हूँ

कभी पूरब का पश्चिम हूँ
कभी उत्तर  का दक्षिण  हूँ

कभी पश्चिम  का पूरब  हूँ
कभी  दक्षिण का उत्तर हूँ
बस ऐसे  ही•••••

कभी मैं अपने प्रश्नों से
हो जाता निर उत्तर  हूँ

मुझे अपना... बना के... रखना...
मेरी चाहत बचा.. के... रखना...
मैं.. अब जा... रहा... हूँ
अपने आँशू..""छुपा...के"",,रखना

शिवम

जिंदगी में

जिंदगी में लाखों तूफ़ान
आते हैं,टकराते हैं
और चले जाते हैं

   जो खड़ॆ रहतॆ हैं
स्थिर वही मंजिल पाते हैं

बस ऐसे ही समस्या भी
आती है
आपकी परीक्षा लेती है
अगर हो गए पास
तो मुस्कुरातॆ हुए  चली
जाती है
असफ़ल हुए तो
रुलाते हुए चली जाती है

Monday, March 4, 2019

सौदा होता होता तो

साहब !
अगर जिनके पास पैसा होता सिर्फ
वही लोग मौत को खरीद सकते
तो इस दुनियाँ में कोई गरीब नहीं होता
~ शिवम अन्तापुरिया

Sunday, March 3, 2019

* विचार शिवम अन्तापुरिया द्वारा लिखित

62- ये जिंदगी भी एक जंग की भाँति ही है
चाहें लोहे में लगी समझ लो या युध्द भूमि
की...
जिसको छुटाते-छुटाते व्यक्ति खुद ही अपने आपको छोङ जाता है और तब समझ पाता है कि ये जो जंग थी वो मैं खुद ही खुद से लिपटा हुआ था

63- हकीकत तो ये है कि हमेशा हार
उसी की होती है जो कोशिश करते रहते हैं
न कि उन निकम्मों की...?
क्योंकि निकम्में वही होते हैं जो कभी कोशिश किसी भी कार्य को करने की करते ही नहीं हैं
इसलिए उनकी हार नहीं होती है
और वो पहले ही मन में हार मान चुके होते हैं

64- लाठी उस भिखारी के भी हाथ में होती है
साहब!
लेकिन वी कभी जमीन से ऊपर नहीं उठती

65- जिस प्रकार माँ में कभी गोद नहीं दिखाई देती लेकिन होती है
ठीक उसी प्रकार ईश्वर शक्ति हर जगह पर व्याप्त है लेकिन हर व्यक्ति दिखाई नहीं देती

66-  मनुष्य को अपने आपको नमक के भाँति रखना चाहिए,
जिसमें कभी कीङे नहीं होते इसीप्रकार मनुष्य अपने में बुराई को जन्म भी न लेने दे

4 -इश्क है उसे

136- दूर रह इश्क में तू बेखौफ मारा जाएगा
उसे तो इश्क है
तेरा दिल धङकता रह जाएगा,

137- इश्क में दिल के हजारों रूतबे होते हैं
कभी वो खंजर व शीशे तो कभी
मोहब्बत में डूबे होते हैं,

138- कातिलाना इश्क ये तुझको किसी दिन मारेगा
जिस दिन उसका साथ तेरे शौक पूरा हो जाएगा

139- इश्क के एक्सीडेंट में दिल टूटकर विकलांग हो गया
सफर में साथ था जो दिल वो अब मालामाल हो गया

140- अपनी हर साँस को इश्क में डुबोकर रखना
गर उछल वो गई तो फिर भरोसा न रखना

141- दिल को अब दरिया दिली की
         आदत सी हो गई है
लाख गोते खाकर पार करने की
भी हिम्मत हो गई है

142- इस जहाँ में इश्क का हिसाब
  मुझे किस किस को देना होगा
साहब!
दिल एक ही है सीने में, न जाने कितनों की साँसे बनना होगा

143- दुआ और उल्फत एक साथ
          चेहरे पर उतर आएगी
  जिस पर भरोसा किया
     गर वो धोखा दे जाएगी

144- कर दे मुझे आजाद अब मैं दूर जाना      चाहता हूँ
भर गया है मन ही खुद से बात करना चाहता हूँ

145- मैं हूँ कोशों दूर तुझसे,तू हजारों मील है
     दिल धङकता तेरा उधर, मैं इधर बेचैन हूँ

146-

"सबकुछ हैं वो"

  क्या होती है माँ
  वो माँ से पूछो
क्या होता है पिता
   वो एक पिता से पूछो |
खुद के सपनों को
   चकनाचूर करके
तुमको क्या क्या दिया
जरा मुङकर तो देखो ||

तुम अपने ही ख्वाबों में
      डूबे हो
अपनी शौक के खातिर
  ही जिद् करते हो
जरा उनके अरमानों को
उनके दिल पर हाथ
   रखकर तो देखो |
कैसा दिल होता है उनका
जरा खुद को उनमें
ढालकर तो देखो ||

   माँ-पिता ने तुमसे
कितने आसरे लगाए होंगे
   कभी खुद भी
इसपर सोचकर तो देखो |
कितने अपने हौंसलों को
   आग देकर उन्होंने
तुमको उजाले में
     ला खङा किया है
ये जरा खुद में
झाँककर तो देखो ||

~ शिवम अन्तापुरिया
-उपनाम
"निर्मोही"

मुक्तक भारत माँ की गोद में

          कविता 
     "जरा मरकर देखें"

    अब जरा मरकर
देख लेने दे मुझे
      कैसा लगता है 
अहसास कर
लेने दे मुझे
मैं भी तो जानूँ 
    इंशानियत क्या है,
मरने की इजाजत 
जरा सी दे दे मुझे,
बनकर हवा आसमान में
उङ लेने दे मुझे,
नए जीवन में
पिछले जन्म की
कुछ तो यादें 
पास रखने दे मुझे,
उस स्वर्ग की खबरें
कुछ तो नर्क में
बताने दे मुझे
अब जरा मरकर
देख लेने दे मुझे...2

युवा कवि/लेखक
शिवम अन्तापुरिया s/o रामप्रसाद सिंह
पता अन्तापुर, हथूमा, कानपुर देहात उत्तर प्रदेश

सावन बहार की

           "निर्झरणी"

निर्झरणी वो प्यार की..2
हर वक्त हर खुशी
सभी लहरें हो
सावन बहार की
निर्झरणी वो प्यार की..2

आसमान से टूटी बूँद
पर चौकसी मिट्टी
के हर सुकुमार की
निर्झरणी वो प्यार की..2

बादलों की बूँद को
गोद में लेने को
क्यों तरसती है
मिट्टी रेगिस्तान की
निर्झरणी वो प्यार की..2

हर वक्त पर गिरती रही
सामाँ सी झरती रही
फूलदानों की तरह
बनकरके वो फब्बार सी
निर्झरणी वो प्यार की...2

-रचयिता
शिवम अन्तापुरिया

हास्य

मैंने शादी न करने का निर्णय लिया था
लेकिन इस डर से करनी पङेगी कि बच्चे कहेंगे कि पापा रडुआ हैं