Friday, December 25, 2020

"यादें चाय की"

_*यादें चाय की*_ 

 _वो बचपन की चाय_ 
   _तोतली भाषा में_ 
   _माँगता वो चाय_ 

 _बचपन की यादों से_ 
 _अजपन की यादों तक_ 
 _दिल भरता है आहें_ 
 _याद करके वो चाय_ 

  _सुबह की चाय_ 
 _वो शामों की चाय_ 
 _यहाँ तक की वो_ 
 _कॉलेज के दोस्तों_ 
 _(पियूष, राघवेंद्र,धर्मेन्द)_ 
 _के साथ बीते कवि के_ 
 _पलों को तरोताजा_ 
   _करती है वो चाय_ 

     _गम में बैठकर_
    _गम को भुलाने_
_में भी अहम भूमिका_
  _निभाती है वो चाय_ 

 _इंतजार करना_ 
 _चाय का घर में_ 
 _इश्क जैसी रश्म_ 
 _पूरी करती है वो चाय_ 

 _शिवम अन्तापुरिया_ 
 _उत्तर प्रदेश_

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