_नयी साल नयी जिंदगी को ला रही फ़िर_
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
उम्रें गुज़रती रहतीं, गुज़रते रहते दिन
एक साथ मिलके रह लो एक साल और फ़िर
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
यूँ तो हैं आती रहतीं ,रातें हर रोज़ और दिन
इस रात गुज़र जाएगा बीस का हर पल
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
देना तो गया दूर, बहुत कुछ है ले गया
नये काम करें मिलकर ये न याद आए फ़िर
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
कोरोना का था रोना,कहीं भूकम्प का कहर
लाचार थी किसानी थे टिड्डीयों के दल
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
वैश्विक बनी बीमारी, नेताओं के थे दिन
खुद करते थे मन मर्ज़ी, जनता को कर देते थे कोरोन्टाइन
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
सब हो गया था डिजिटल, बचा इंटरनेट का था पथ
सब प्रेमियों का मिलना, मुश्किल हुआ फ़िर
_नयी साल नयी जिंदगी को ला रही है फ़िर_
_आओ करें हम स्वागत नये साल का एक फ़िर_
लेखक
~ _शिवम अन्तापुरिया_
उत्तर प्रदेश
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