खड़े हैं द्वार पर आकर
जो सबके अन्नदाता हैं
नहीं ठुकराओ तुम इनको
तुम्हारे प्राण दाता हैं
अनाजों के बिना तुम एक
कदम भी चल नहीं सकते
समय ये आज तेरा है समय
कल इनका आएगा
क्यों सुनते नहीं आकर
अब तुम दर्द हो इनका
जिन्हें तुम शान से
कहते थे मेरे अन्नदाता हैं
कवि शिवम यादव
अन्तापुरिया कानपुर
उत्तर प्रदेश
+91 9454434161
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