मेरी लड़ाई नहीं हुई
मगर रह नहीं पा रहा
तन्हाई इतनी है कि
सह नहीं पा रहा
हाँ मज़बूर हूँ वा खुदा
उसे बता नहीं पा रहा
तुम मिले मुझे कैसे
समझ नहीं पा रहा
ये दिल कैसे क्या है
खुद समझा नहीं पा रहा
कैसे पाऊँ काबू मैं अब
दिल है कि डगमगा रहा
बहुत दूर तक गया था
बेवश अब वापस आ रहा
शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर
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