Monday, May 11, 2020

इरादे यही हैं

"इरादे यही हैं"

दुनियाँ के अक्सर इरादे यही हैं 
 मेरे साथ रहने के वादे यही हैं 

कितने जमाने भी बीते हैं गुज़रे 
मगर याद में तेरी अब भी दबे हैं 

सियासत के पन्ने पढ़ूँ और कैसे 
तुमसे मिले दिन बहुत हो गए हैं 

चाहत भरी महफ़िलों में यूँ जाके 
तेरा नाम सबको वो बताते चले हैं 

दरियादिली क्या चाहत शिवम है 
पग-पग पे यादें सताती सनम हैं 

अक्सर तेरे बिन सदा रह न पाऊँ 
ये इरादे तेरे यार मुझसे अधिक हैं


~ शिवम अन्तापुरिया 
       उत्तर प्रदेश

No comments:

Post a Comment