Wednesday, May 27, 2020

karanataka से मिला

"मिला नहीं"

"मिला नहीं"

 तुमको उत्तर अब तक मिला नहीं तो मिला नहीं 

थी मेरी कोई खता नहीं तुम्हारी भी थी मोहब्बत नहीं 
तुमने सब कुछ कह डाला अच्छा जरा भी कहा नहीं 
क्या लगता कैसा लगता मुझको अब तक पता नहीं 

तुमको उत्तर अब तक मिला नहीं तो मिला नहीं 

दुनियाँ की जंजीरों में अब तक मैं बँधा नहीं तो बँधा नहीं 
तुमको लगता है बँधा हुआ हूँ बँधा   नहीं तो बँधा नहीं
बात का समय एक घण्टा है इससे ज्यादा कभी नहीं 
डराओगे तुम मुझको सोचा ऐसा था कभी नहीं 
बात बात पर डरना तेरा हम सह पाएँगे कभी नहीं

    शिवम अन्तापुरिया
     उत्तर प्रदेश 

"वापस आ रहा है"

"वापस आ रहा"

मेरी लड़ाई नहीं हुई 
मगर रह नहीं पा रहा 

तन्हाई इतनी है कि 
 सह नहीं पा रहा 

हाँ मज़बूर हूँ वा खुदा 
उसे बता नहीं पा रहा 

 तुम मिले मुझे कैसे 
 समझ नहीं पा रहा 

   ये दिल कैसे क्या है 
खुद समझा नहीं पा रहा 

कैसे पाऊँ काबू मैं अब 
दिल है कि डगमगा रहा 

 बहुत दूर तक गया था 
बेवश अब वापस आ रहा 


शिवम अन्तापुरिया 
   कानपुर उत्तर

फ़िल्मी गीत

"गीत"

 कद्र करूँ या सब्र करूँ
तेरे बिन अब क्या जीने में 

तेरा दिल था वफ़ा न हुआ बेवफ़ा 
अब रहा न मज़ा वो पीने में 
भूल नहीं सकता तुमको दिल 
पता है चला अब सीने में 

  कद्र करूँ या सब्र करूँ
तेरे बिन अबक्या जीने में 

दुनियाँ की अदा दुनियाँ की वफ़ा 
सब रखी है तेरे सीने में 
अब भूल जरा मुझको तू जा 
कुछ भी न है मेरे सीने में 

  कद्र करूँ या सब्र करूँ
तेरे बिन अब क्या जीने में 

इल्ज़ाम तेरा मैं खुद लेता 
गर होती साँस ये सीने में 
तुमसा कोई दूजा मिलेगा नहीं 
अहसास मुझे है जीवन में 

  कद्र करूँ या सब्र करूँ
तेरे बिन अब क्या जीने में 

गर हो यूँ सके तो माफ़ करो 
अब मुझको अपने गलीचे से 
कुछ भी हो जाए लेकिन अब 
हम बसेंगें नहीं कोई सीने में 

  कद्र करूँ या सब्र करूँ
तेरे बिन अब क्या जीने में 


 शिवम अन्तापुरिया 
 कानपुर उत्तर प्रदेश

Monday, May 11, 2020

"माँ की ममता"

हर पल तुम्हारी मुझे याद आए 
यहाँ से बिछडकर बहुत दूर जाए 
बड़े ही शलीके से पाला था उसने 
मेरी माँ तेरी याद हर पल रूलाए 

शिवम अन्तापुरिया

नफ़रतें सदा कुछ

नफ़रतें सदा कुछ नेगैटिव ही लाती हैं !!
प्यार में यादें भी पॉजिटिव आती हैं !!

~ @OshayarShivam

दुनियाँ में अब कुछ भी दिखता नहीं है !
बहुत थक गए हैं मन ये रुकता नहीं है !!

शिवम अन्तापुरिया

दुनियाँ के वादों से यूँ घिर गया हूँ...
उसे भूल जाऊँ तो बिछड़ भी गया हूँ... 

शिवम अन्तापुरिया

पिछली यादों में अब भी बहुत कुछ है 
जिंदगी जिंदगी के बिना नाकुछ है

शिवम अन्तापुरिया

क्या करेंगे मोहब्बत का अब यार हम 
जब मोहब्बत के अब पास रहते हैं हम 

शिवम अन्तापुरिया

ये इरादे तो अक्सर इरादे ही हैं 
जो गिरा दें वही लोग आधे भी हैं 

शिवम अन्तापुरिया

कोई अहसास है दिल में उसे ऊपर तो लाओ तुम 
मोहब्बत की सज़ाओं का जखम अब बन न जाओ तुम 
ज़मानें में मोहब्बत की हज़ारों की बला हो तुम 
चाहत है तो रूक जाओ नहीं तो भूल जाओ तुम 

शिवम अन्तापुरिया

जिस व्यक्ति को उसके मुताबिक मंजिल पर न चलने दिया जाए !
उसकी दशा भटकते पथिक की भाँति हो जाती है!!


शिवम अन्तापुरिया

सरहदे खून मांगती हैं 
मुझे उन्हें अब फ़ूल देने होंगे 
जहाँ जिहादी भरती हो हुंकार 
वहाँ अब मोहब्बत के 
    बीज बोने होंगे 
    - शिवम अन्तापुरिया -

हम तो अपनों को अधिकार देने लगे 
लोग पागल सा हमको समझने लगे 
ढू्ँढते-ढूँढते वो तो खुद खो गए
प्यार के हर सफ़र में हम चलने लगे 

शिवम अन्तापुरिया

शराब पीने से बेहतर है कि 
अपने गम और गुस्सा को पी जाओ 

शिवम अन्तापुरिया

इरादे यही हैं

"इरादे यही हैं"

दुनियाँ के अक्सर इरादे यही हैं 
 मेरे साथ रहने के वादे यही हैं 

कितने जमाने भी बीते हैं गुज़रे 
मगर याद में तेरी अब भी दबे हैं 

सियासत के पन्ने पढ़ूँ और कैसे 
तुमसे मिले दिन बहुत हो गए हैं 

चाहत भरी महफ़िलों में यूँ जाके 
तेरा नाम सबको वो बताते चले हैं 

दरियादिली क्या चाहत शिवम है 
पग-पग पे यादें सताती सनम हैं 

अक्सर तेरे बिन सदा रह न पाऊँ 
ये इरादे तेरे यार मुझसे अधिक हैं


~ शिवम अन्तापुरिया 
       उत्तर प्रदेश

कोरोना से लड़ाई

"कोरोना से लड़ाई"

जब से आया कोरोना 
ये सबका रोना रोना है ...

मातृभूमि की माटी में 
हँसते-हँसते सोना है 
देशप्रेम और देश सुरक्षा
में खुद को खो देना है 
देश हमारा सर्वोपरि है 
हम भारत के बेटा हैं 

जब से आया कोरोना 
ये सबका रोना रोना है ...

जमीं हमारी अम्बर मेरा 
सबका एक ही कहना है 
घर में सदा रहेंगे सुरक्षित 
एकजुट हमको होना है
हर थककर ये भाग जाएगा 
बस कुछ दिन का कोरोना है 

जब से आया कोरोना 
ये सबका रोना रोना है ...

धरती के भगवान जो हैं 
उनको नमन भी करना है 
जो हैं लीन काट में इसके 
उनका मान भी रखना है 
भारत के चिकित्सकों का 
साथ हम सबको भी देना है 

जब से आया कोरोना 
ये सबका रोना रोना है ...

         कवि/लेखक 
शिवम अन्तापुरिया कानपुर 
       उत्तर प्रदेश