Monday, December 2, 2019

मुक्तक

बीतते शाम के रात आ जाएगी 
तुम आ जाओगे प्यास बुझ जाएगी 
ये तो सफ़र हैं कहाँ तक ले जाएंगे 
जिन्दगी क्या है तब समझ आयेगी 

 ताँका झाँका नहीं कीजिए 
जिन्दगी को खुशी से जी लीजिए 
आज हैं हम यहाँ कल कहाँ जाएंगे 
आप खुद से जरा ये सवाल कीजिए 

भारत के युवाओं 
एक बार हम जागे फ़िर ऐसे सुलाए गए 
कि अब तक जाग नहीं पाए हैं 

जय हिंद 

शिवम अन्तापुरिया

हम खुशी हो गए वो मौन हो गए 
 चलते चलते प्यार में ही उसके
मुझसे सारे रिश्ते खतम हो गए 

शिवम अन्तापुरिया

चल दिए हम सफ़र छोड़ करके सभी।
अपनी मन्ज़िल तक न पहुँचे थे अभी।।
" गीत "

1- छोड़ कर प्यार की 
राह तुम चल दिए 
इस कदर तेरा जाना 
न हम सह सके...

2- अब है जाना तुम्हें
 तो चले जाइए 
अब ये नज़रे न 
हमसे मिलाना कभी...

छोड़ कर प्यार की 
राह तुम चल दिए 
इस कदर तेरा जाना 
न हम सह सके...

2- न ही हम दूर थे 
न ही तुम दूर थे 
एक दम क्या हुआ 
तुम बिखर से गए....

छोड़ कर प्यार की 
राह तुम चल दिए 
इस कदर तेरा जाना 
न हम सह सके...

2- कोई दीवाना कहे 
कोई फ़साना कहे 
तुम मोहब्बत में 
कैसे जकड़ से गए...

छोड़ कर प्यार की 
राह तुम चल दिए 
इस कदर तेरा जाना 
न हम सह सके...

     रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया 
   उत्तर प्रदेश


शिवम अन्तापुरिया

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