यहाँ क्या होने वाला है
किसी पर छाई मायूसी
किसी को गम ने मारा है
कहते लोग दुनियाँ में
यही सब बोलबाला है
सहेंगे जुर्म कब तक हम
अगर ये होने वाला है
शिवम अन्तापुरिया
तुम आए तो महफ़िल में शाम ए जान आ गई
जिनके अब तक बन्द थे होंठ अब उनमें भी जान आ गई
शिवम अन्तापुरिया
जिन्हें हम उठाने की कोशिश करते हैं
वही मुझे गिराने की कोशिश करते हैं
शिवम अन्तापुरिया
जिन्हें हम उठाने की कोशिश करते हैं
वही मुझे गिराने की कोशिश करते हैं
शिवम अन्तापुरिया
" सर्द हवाएँ "
यही तो ओस की बूँदे,
मुझे अवगत करातीं हैं
नमीं कितनी है मौसम में
सभी को ये बतातीं हैं
कहीं की सर्द हवाएँ
सदा मुझसे ही मिलतीं हैं
कहें क्या हम उनसे अब
वो दुआ रब से करतीं हैं
कोई नफ़रत से जीता है
कोई खुशियों में पलता है
हिफ़ाजत मेरी करती है
और मुझको ही डराती है
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
" फ़ूल मेहँदी के "
आज फ़ूल मेहँदी के बने तेरे हाथों में थे
तुझे समझना जज्बात मेरे आंखों में थे
जिन्दगी मिली है और गुज़र जायेगी
साथ देना न देना फ़ैसले तुम्हारे दिल की अदालत में थे
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
मन भावन चित्र सुहावन
पावन दर्पण है
तेरे मुखाड़े को देख
मन प्रफ़ुल्लित है
मन रीझ गयो तेरी
सोभा पे है
भूलना चाहे अगर शिवम
तो तुझको भूल न पावत है
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
No comments:
Post a Comment