हमारे ऊपर न ढाओ जुल्म......
हम अब जाने वाले हैं,,,,,
हजारों की महफिलों में हम.....
अकेले रहने वाले हैं,,,,,,
वही भीषम,वही भारत,वही गुरु द्रोण और अर्जुन भी वहीं,, बैठा रह जाएगा़... -2
वही द्रोपदि,,, का जब खींचने दुस्साशन चीर आएगा -2
बचाने वाला वो मोहन
हाथों में लिए मुरली बस दौड़ा आएगा -2
उस दिन ही समझ लेना तुम
हाँ ये घोर कलयुग है
जब ये वाकया फिर दोहराया जाएगा ,,,-2
सभा में घेर करके जब,,,,,
अबला पर हाथ उठाएँगे,,,,
हज्जारों शूर वीर भी ,,,,,,
नजर नीचे झुकाएँगे ,,,,,
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