बहुत थे मर गए भूखे
बहुत घर रह गए भूखे
बड़ी थी चाल कोरोना की
बहुत थे चल रहे भूखे
चारो ओर फ़ैला डर
पहली बार था देखा
हमारी आँखों ने देखा
तुम्हारी आँखों ने देखा
बहुत आकार था छोटा
बड़ों को ढेर कर डाला
हिला दी नींव दुनियाँ की
भयानक शोर कर डाला
जिसका था नाम कोरोना
सभी को बेहाल कर डाला
जरा से पास आने पर
धरा से दूर कर डाला
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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