Thursday, July 16, 2020

जिंदगी में गलतियाँ

1- जिंदगी में जिंदगी से गलतियाँ होती ही रहतीं हैं
मगर गलती से गलतियों को
 जिंदगी बनाने की गलती मत करना 

शिवम अन्तापुरिया

2- जीते जी जिंदगी अब कहाँ आ गई 
लोग समझें तुम्हें नौबतें आ गईं 
जख्म एक और दो से न जब मन भरा 
सिर पे दुनियाँ की सारी उलझने आ गईं 

शिवम अन्तापुरिया

3- जब जुनून हो दिल में तो मन ठहर नहीं सकता l 

जो लिखा हो मुकद्दर में उसे कोई छीन नहीं सकता ll 

शिवम अन्तापुरिया

4- ये जीवन एक ख्वाबों,ख्यालों,उम्मीदों,मुश्किलों और उलझनों से भरा शहर है l

कुछ तो आराम से जिंदगी जिया करते हैं 
बाकी पर तो समस्याओं का कहर है ll 

शिवम अन्तापुरिया

5- दिल की मायूसी बहुत कुछ बता जाती है 
चेहरे की खामोशी बहुत कुछ जता जाती है 
मगर जब कुछ खोने के लिए नहीं होता 
तब जिंदगी पाने के लिए बहुत कुछ दिखा जाती है 

शिवम अन्तापुरिया

6- कभी तुमसे नहीं रूठे 
कभी हमसे नहीं रूठे
नज़ाकत है मेरी ये ही
जमाना भी नहीं रूठे 

शिवम अन्तापुरिया

"अकेली नहीं" कहानी शिवम अन्तापुरिया

"अकेली नहीं"

बादलों की गर्जन और बिजली की चमचमाहट के नीचे बैठी स्वरा   बिल्कुल ही निडर भाव के साथ एक टक लगाए बैठी थी, उसे डर होता भी तो किसका जब उसे  कोई आजतक अपनेपन का अहसास ही नहीं हुआ था, बेचारी स्वरा अब तक अपनी जिंदगी में कई पहलुओं के साथ गुज़र चुकी थी लेकिन फ़िर भी उसका भाग्य कि वो हज्जारों हज़ार की भीड़ में भी अपने आपको हमेशा अकेला ही पाती थी l वो आजतक अकेली ही थी उसे पास सिर्फ़ तन्हाई थी अकेलापन था वो भी अपनी ही थी ये अकेलापन भी उसके ऊपर किसी का अहसान नहीं था क्योंकि ये तन्हाई को उसने खुद ही स्वीकार किया था 
शायद उसने जिंदगी का असली रूप नहीं देखा था कि वो कैसा होता है? क्या होता है? कब, कहाँ  होता है उसे तो केवल अपने आप खोए रहना ही सबसे अच्छा लगता था मगर जिंदगी कहाँ कौन सा बीरान शहर है नहीं पता था 

 1-        ये जीवन एक ख्वाबों,ख्यालों,उम्मीदों,मुश्किलों और उलझनों से भरा शहर है l

कुछ तो आराम से जिंदगी जिया करते हैं 
बाकी पर तो समस्याओं का कहर है ll 

इन सबसे अंजान स्वरा की आँखें उसके पति की आवाज़ से जब खुली तो सुबह आठ बज चुके थे 
स्वरा अब तक ये सब स्वप्न में देख रही थी तभी तो आज पाँच साल के अपने वैवाहिक जीवन में पहली बार पति के जगाने पर जगी थी नहीं तो वो तो खुद ही रोज़ चाय के साथ अपने पति अनवेश जगाने पहुँचती थी l अनवेश ने बड़ी ही तनमयता में पूछा ओह! आज तो तुम अब तक सोई हो मेरा कोई ख्याल ही नहीं, 
स्वरा हिचकिचाते हुए जी कुछ नहीं वो जरा एक सपना...

अनवेश - बड़े प्यार से बोला, गले में हाथ डालकर स्वरा """ सपना मतलब कैसा सपना ... वगहरा वगहरा... 
स्वरा- कुछ नहीं बस यूँ ही... 
इतना कहकर बात को टाल दिया 

अरे वाह आपने भी तो कमाल कर दिया चाय - नाश्ता सब कुछ तैयार कर दिया 
अरे बस मैंने सोचा तुम्हें क्यों जगाऊँ पहली बार तुम मेरे बाद तक सोई हो सोचा तुम्हें कुछ सरप्राइज ही दे दूँ l 

इतना कहकर अनवेश ड्यूटी चला गया 
स्वरा ने अनवेश को बिना बताए तो उस सपने से मुँह मोड़ लिया था लेकिन खुद उसे कैसे भूलती 
क्योंकि ये सपना ही नहीं ये उसकी जिंदगी का कभी हिस्सा हुआ करता था l जब वो अपने आपको दुनियाँ के सभी बँधनों से मुक्त जैसा महसूस करती थी तब वो एक आज़ाद पंछी की तरह आसमान में जी भरकर उड़ाने भरना चाहती थी, लेकिन एक स्त्री होने के नाते अपने माँ-बाप की रूढीवादी उम्मीदों को पूरा करने व समाज में फ़ैले स्त्रियों के प्रति विकारों से खुद व अपने परिवार को बचाने के लिए स्वरा ने वैवाहिक जीवन में ही अपना जीवन देखा और वही उसे अच्छा भी साबित हुआ l इंशान कितना भी सही हो वो दूसरों के दिमाग में जन्म लेने वाले खुद के खिलाफ़ बोले जाने वाले गलत शब्दों को रोक नहीं सकता है  

2- दिल की मायूसी बहुत कुछ बता जाती है 
चेहरे की खामोशी बहुत कुछ जता जाती है 
मगर जब कुछ खोने के लिए नहीं होता है पास 
तब जिंदगी पाने के लिए बहुत कुछ दिखा जाती है 

स्वरा खुद को अकेला रखना चाहती थी और आज वो अपने वही सपने को सपने में ही देख कर दंग रह गई थी 

एक पुरुष का जीवन भर अकेले रहना अलग बात है l 
लेकिन एक स्त्री का जीवन भर अकेले रहना बहुत ही बड़ी बात है ll 

           लेखक 
   शिवम अन्तापुरिया
   कानपुर उत्तर प्रदेश

Saturday, July 11, 2020

Quiz of International yoga day and 4 other university certificate

karanataka se chaloli se jiwaji se  madhav mahavidhyalay se Quiz on international yoga day se

Delhi University se

NPIU से

इतिहास संचयन परीक्षा

Goverment First Grade collage se

बेहाल कर डाला

"बेहाल कर डाला"

बहुत थे मर गए भूखे 
  बहुत घर रह गए भूखे 
बड़ी थी चाल कोरोना की 
   बहुत थे चल रहे भूखे 

चारो ओर फ़ैला डर 
पहली बार था देखा 
हमारी आँखों ने देखा 
तुम्हारी आँखों ने देखा 

बहुत आकार था छोटा 
बड़ों को ढेर कर डाला 
हिला दी नींव दुनियाँ की 
भयानक शोर कर डाला 

जिसका था नाम कोरोना 
सभी को बेहाल कर डाला 
  जरा से पास आने पर 
   धरा से दूर कर डाला 

       रचयिता 
शिवम अन्तापुरिया
     उत्तर प्रदेश 
+91 9454434161
+91 9519094054

Wednesday, July 1, 2020

तेरे बिन थी सूनी गलियाँ

मेरे दिल के हिसाबों में बड़ी मुश्किल बड़ी मुश्किल 
चलो अब तुम बनो मेरी सारी मुश्किलों के हल मुश्किलों के हल 

शिवम अन्तापुरिया

तेरे बिन थी सूनी गलियाँ,नहीं कलियाँ बगीचे में !
तुम आए भरी गलियाँ,खिलीं कलियाँ बगीचे में ! 
बहुत आतीं रहीं यादें मगर सज़दा न हो पाया 
मिलेंगे अब फ़िर हम सब, पुराने से सलीके में !

~ शिवम अन्तापुरिया

तुम्हारे जाने की खबर भी झूठी लगती है 
 हाँ पास आने की तुम्हारी आहट लगती है 

~ @OshayarShivam

वर्षों से माँ-बाप के लहू से सींचा जो बाग जाता है 
साहब! जरा से एक पल में उजड़ सा बाग जाता है 
आज फ़िर से हूकूमत का चेहरा दूसरा देखा मैंने 
चाईना की सरहदों पर जवानों का बहा अब खून जाता है 

~ शिवम अन्तापुरिया 
@yadavakhilesh
@R_Publishers
@myogiadityanath 
@ErDhananjaysin3कहने के लिए जिंदगी शब्द बहुत छोटा है 
मगर जिंदगी का पहलू बहुत बड़ा होता है 

shivam antapuriyaदिखा कर हाथ की रेखा मुझे अपना बनाओगे 
रूठ कर जा सकोगे न अपना दिल मेरे दिल में सजाओगे 

शिवम अन्तापुरियाबहुत कुछ थे इरादे वो 
नज़र आते हैं आधे वो 

शिवम अन्तापुरियाउतरकर पानी में वो भी 
 नहाने रोज़ जाते हैं !
उम्मीदें तमाम लेकर वो भी 
हमारे पास आते हैं !!

@DrKumarVishwas
@R_Publishers
@yadavakhilesh @anoopgolu_HTL 
@amarujalakavya 
@Hindi_shabd_htl 
@ErDhananjaysin3 
@DhaniHarrison 
@anamikamberबहाकर आँखों में आँसू ,तुम्हें क्या ढूँढ पाऊँगा 
जखम में दर्द है जबतक, सुकूँ से सो न पाऊँगा
@anamikamber 
@R_Publishers
@DrKumarVishwas
@rahatindori
@ErDhananjaysin3

जीवन

" जीवन "


हाँ केसर सा जीवन मिल जाए 
तुम बिन फ़ूल कली खिल जाए 
इस जीवन की हर बात बात में
यूँ कोयल  मृदुल गीतिका गाए 

सुन्दर उपवन जीवन का यौवन 
चल चित्रों  का है घोर समागम 
हम मिलते हैं मिलकर रह जाएँ 
चारो ओर  है सुन्दर सा उपवन 

        शिवम अन्तापुरिया 
            उत्तर प्रदेश