तुम ही पहले प्यार हो
तुम ही पहले यार हो
बिन तेरे बीमार हूँ
तुम ही मेरी दवा हो
तुम ही मेरे रात-दिन
तुम ही सारा संसार हो
प्रेम के बादल तुम ही हो
तुम प्रेम के भंडार हो
मैं तो हूँ नाचीज परिंदा
तुम ही मेरे घर वार हो
प्यार ये होता है क्या
प्रेम के तुम द्वार हो
रचयिता
शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश
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