Thursday, February 21, 2019

पाकिस्तान पर शब्दों के वार

जो न्याय नीति को समझे न
उसको इतिहास पढाना क्या
ये पाकिस्तानी चमगादङ हैं
इनको प्रकाश दिखाना क्या

जब जब युध्द भूमि में हारे हैं
   तो घुटनों पर आ जाते हैं
जब पेट टूटते दिखते हैं
     तो पैरों में पङ जाते हैं

इन दृष्टिहीन चमगादङों को
अब हम सबक सिखाएँगें
जिन्दा हो या मुर्दा हो
अब सबको दफनाएँगें

ओ भारत के वीरों अब
इमरान का भी विकेट
गिराना होगा
बहुत जल्द पाकिस्तानी
धरती से जिहाद मिटाना होगा

पाक की नापाक हरकतों से
अब दिल नाखुश हो बैठा है
झूठ-मूठ की बातों में
ये गैरों का सहारा ले बैठा है

खुद को मर्द बताकर
कायरों की तरह
पीठ दिखाते हैं
पाकिस्तानी चमगादङ
होकर खुद को हंस बताते हैं

भरतभूमि की रणगाथा को
फिर से दोहराना होगा
जन्म ले रहे भटकल जैसे
आतंकियों को गर्भ में ही
मिटाना होगा

भारत माँ के माथे पर
हम कोई दाग नहीं आने देंगे
जो आतंकी बनना चाहेगा
शूली पर उसको चढ़ा देंगे

   जिसको कोयल समझा था
वो भी आवाज से कौआ निकला
वर्तमान पीएम भी उसका
पिछले बकरों जैसा
   जिहादी निकला

रोज-रोज हम तेरे जैसा
झूठ नहीं बोल पाएँगे
हर पाकिस्तानी बकरों का
भारतीय शेरों को भोजन
करवाएँगे

इमरान सावधान अब तू हो जा
तेरे कठपुतली जैसा नाच नहीं हम
नाचेगें
ताण्डव नृत्य भोला जैसा
एकबार हम नाचेगें

बार-बार की गलती से
अब माफी का पन्ना फाङेगें
ऐ पाकिस्तानी गीदङ तुमको
अब बंजर में ही गाढेगें

एकबार तू चीन के पास
बैठ पूछ लेना
जिसको बाप समझता है
उससे भी मेरी औकात
पूँछ लेना

शायद सन 48 और 65 तुमको
फिर से याद दिलाना होगा
कारगिल हिमगिरि जैसी
तुमको एक हार और झेलना होगा

पाकिस्तानी तरबूजों पर अब हम छुरियाँ चलवाएँगे
पानी तो पानी रहा बक्कल भी पिसवाएँगे

पाक धरा उस दिन
    पाप मुक्त हो जाएगी
     पाकिस्तानी धरती से
जिस दिन जिहादी मिट जाएगी

मौन शब्द से बँधे हुए जिस दिन हाथ
मेरे खुल जाएँगे
भारत से लेकर पाक, चीन धरा तक तिरंगा तिरंगा ही लहराएँगे 

   । अब भारतीय राजनीति पर व्यंग्य ।

हम कवियों के ओज पर बोलने व लिखने मात्र से क्या होगा
जब तक राजनेताओं में ओज नहीं होगा
..................................................
ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी शायद राजनेताओं के नाती, पंती, बेटों के मुण्डन में दागी जाएँगी,

इसीलिए लगता है तब तक सैकड़ों माताओं की
गोद उजाङी जाएंगी,
कायरता तो आतंकियों ने दिखलाई है,
लेकिन सब होते हुए हम क्यों कायर से बन बैठे हैं

वो हिंसा करने से पीछे नहीं हटते
और हम अहिंसा लिए बैठे हैं

अब कितनी और माताओं की गोद व सुहाग उजाङे जाएँगे

इस भरतभूमि की माटी में, कितने और सपूत गवाए जाएँगे

बहुत हुए शहीद कितने सर और कटाकर हम शांति प्रिय बन पाएँगे

जो कुछ भी लागू या बंदी करना हो वो सबकुछ साहब! कर लो तुम

लेकिन एक बात पर गौर करो
शहीद बंदी भी लागू कर दो तुम

साहब!
तब सर्जिकल से क्या होगा
घुसकर मारने से क्या होगा
फिर ढिंढौरा पीटने वाले
आपके भाषण का क्या होगा

जब सैकड़ों अबिलाओं की
माँग में सिन्दूर नहीं होगा
कितनी गोदें सूनी हो गई
कितनों के सर पर भूचाल
सा आ गया होगा
जिनका पिता दुधमुँहे
को सिर्फ
माँ के हवाले छोङ गया होगा

आजकल तिरंगा की आँखों में भी
आँशू भर आते हैं
पाकिस्तानी सीमा पर हम फहराए कम
लपेटे ज्यादा जाते हैं

भारतीय सेना की लगाम अब जरा ओज कवियों के हाथों में देकर देखो तुम

फिर पाकिस्तानी धरती पर मचता कोहराम देखना तुम

~ ओज से दहकते अंगारो के बीच चलना सीखा है किसी से जलना नहीं
शिवम अन्तापुरिया "निर्मोही"

संपर्क करें 9454434161

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