1- मेरे कदमों के जाने से तेरे कदमों के आने से
बने थे पग जमीं पर जो निशाँ से वो मिटाने के
2-न रूकता हूँ न ठहरता हूँ
बस खुद को समझाता हूँ
दिल चलने को रोकता है
मगर पगों से चलता चला जाता हूँ
3-दिल से खामोश मन से परिंदा हूँ
उसे देखूँ जहाँ भी मैं
उधर उङता सा जाता हूँ
वो दूरी क्या वो मंजिल क्या
खबर इसकी न होती है
फिर भी हजारों लोगों में
उसकी पहचान होती है
आवारा क्वाॅरा हूँ न कोई मतभेद दिल में है
दीवाना न आशिक हूँ बस राही पथिक का हूँ
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~ शिवम अन्तापुरिया
कुछ पंक्ति आपके समक्ष
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