Saturday, November 10, 2018

वहाँ जाने से

1- मेरे कदमों के जाने से तेरे कदमों के आने से
बने थे पग जमीं पर जो निशाँ से वो मिटाने के

2-न रूकता हूँ न ठहरता हूँ
         बस खुद को समझाता हूँ
दिल चलने को रोकता है
   मगर पगों से चलता चला जाता हूँ

3-दिल से खामोश मन से परिंदा हूँ
          उसे देखूँ जहाँ भी मैं
  उधर उङता सा जाता हूँ
     वो दूरी क्या वो मंजिल क्या
खबर इसकी न होती है
      फिर भी हजारों लोगों में
      उसकी पहचान होती है
आवारा क्वाॅरा हूँ न कोई मतभेद दिल में है
दीवाना न आशिक हूँ बस राही पथिक का हूँ
.................
   ~  शिवम अन्तापुरिया
कुछ पंक्ति आपके समक्ष

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