Thursday, November 1, 2018

''किसान'' मजबूर हूँ

मैं मजबूर हूँ
   मैं मगरूर हूँ
क्यों सजा मुझे मिल रही है
      मैं बेकशूर हूँ,

अभी तक प्राकृतिक आपदाओं
से तबाह होता रहा है
अब फसलों पर कहर बरपाया
जाता है
चुनावी रैलियों की आपदाओं से

क्यों सजा मुझे मिल रही है
मैं बेकशूर हूँ

मैं नादान नहीं
     मैं अनजान नहीं
सबकुछ जानकर भी दबंग
      नेताओं के डर से चुप रहता हूँ
मैंने कई ऐसे दृश्य देखें हैं
   नेताओं ने अपने दौलत के बोझ तले
सैंकङो बेगुनाहों किसानों को कुचल डाला है
    जिनकी न कभी अखबार में खबर
                छपती है ??
      न उनका नाम लिया जाता है
क्यों सजा मुझे मिल रही है
     मैं बेकशूर हूँ
                          ~ शिवम अन्तापुरिया
व्यंगात्मक शब्द.....
ऐसे ही बिखरे शब्दों को जोङता रहूँगा....

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