Saturday, October 27, 2018

इश्क है उसे

अजीब सा इजहार करती है वो
जरा मुझे देखकर खुद से
कुछ करार सा करती है वो
मगर मैं सबकुछ जानकर भी
अनजान सा
गरजता सा हूँ
बस उसकी उसी डरावनी
सी मुस्कान पे मरता हूँ मैं
लगता है चंद दिनों का मेहमान है वो
इसी लिए उसकी हर ख्वाहिश
को पूरी सी करता हूँ मैं
क्योंकि इश्क के समुन्दर में
शायद के साथ ही रहती है वो
~अन्तापुरिया

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