भगवान कैसी माया है तेरी
समझ न आए मेरी
किसान से दुश्मनी क्या
है तेरी,
खून को पसीना समझ
बहाता हूँ
फिर भी
शायद तुझको फिकर
नहीं मेरी,
यही वजह है तेरी
माया से हार गई
किस्मत मेरी,
बता दो, जता दो मुझे
क्या कोई पाप भी
करता हूँ मैं
मेरे ख्याल से अपना
और भी अनेकों का
पेट पालता हूँ
फिर भी तुझको याद
नहीं रहती मेरी,
रात-दिन का फर्क
भी नहीं पता मुझे
मगर पता नहीं तूने
अब मुझे कौन से
अंधकार में डालने
की फितरत है तेरी,
मगर फिर भी तुझपर
ही उम्मीदें टिकीं हैं मेरी
~ शिवम यादव अन्तापुरिया
9454434161
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