Saturday, June 5, 2021

"देश ही नहीं हर घर में अखण्डता होनी चाहिए"

"देश ही नहीं हर घर में अखण्डता होनी चाहिए"


जरा-जरा सी बातों को लेकर हम खिन्न-भिन्न हो जाते हैं। वही एक तरफ़ हम देश की अखण्डता को लेकर कई सवाल जवाब करत हैं ऐसे मैंने अब तक बहुत सारे उदाहरण देखे हैं,लेकिन जो लोग देश की अखण्डता पर सवाल उठाते हैं उनसे मेरा एक प्रश्न है कि क्या आपने कितनी अखण्डता का पालन किया है इन पंक्तियों से मैं खुद उनसे सवाल करता हूँ... 


" देश की अखण्डता पर उठाते हैं जो सवाल, उनसे मैं एक प्रश्न पूछना ये चाहता हूँ 
क्या झाँककर देखा नहीं है आपने अपने ही घर में,माँ-बाप से क्यों दूर खड़े हो ये तुमसे ही उत्तर चाहता हूँ 
माँ-बाप और भाइयों से मिलकर तुम कितने दिन रहे हो साथ में, तुमसे इसका भी उत्तर चाहता हूँ 
परिवार को तुम छोड़कर अकेले खुशियों पे खुशियाँ ढो रहे हो फ़िर क्यों अखण्डता की करते हो बात 
इस प्रश्न का स्वंम तुमसे ही उत्तर चाहता हूँ  "

पहले लोग फ़िर लोगों से समाज फ़िर समाज से घर, घरों से गाँव, गाँवों से जिला फ़िर जिलों से एक राज्य फ़िर राज्यों से मिलकर बनता है देश अब सोचने की बात है कि अगर हमारे परिवार में ही अखण्डता व्याप्त है तो फ़िर पूरे देश में अखण्डता क्यों नहीं व्याप्त होगी क्योंकि देश बना तो हम लोगों से ही है।
           इसलिए अगर देश में एकता, अखण्डता को कायम रखना चाहते हो तो सबसे पहले अपने अंदर ही हम सबको अखण्डता का निर्माण करना होगा तब अखण्डता, एकता का गीत पूरे देश को सुना पाओगे और उनके दिलों  में एकता रूपी प्रेम को जगह दे पाओगे 

हमें देश पर देशत्व का भी अभिमान होना चाहिए 
हमें अपनों के अपनत्व का भी भान होना चाहिए 
ये पावन भरत की भूमि है सदा पावन ही रहना चाहिए 
ये देश हो अखण्ड उसे पहले अपनों के दिलों में अखण्डता जागनी चाहिए 

अगर हम सब अपने अंदर इन शब्दों को उगा लेंगे तो फ़िर अखण्डता रूपी अनाज अवश्य ही पैदा होगा फ़िर मुझे कुछ भी करने की जरूरत ही नहीं होगी।

क्योंकि "जहाँ एकता होती है वहाँ अनेकता के भाव ही खतम हो जाते हैं"

इसी को वसुधैव कुटुम्बकम कहते हैं 

  कवि /लेखक 
शिवम अन्तापुरिया 
  उत्तर प्रदेश 
+91 9454434161

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