अब पक्ष में न मेरे कोई है
यहाँ सब विपक्षी बन खड़े हैं
जो अनोखा कुटुम्ब था मेरा
वो ही प्रश्नचिन्ह्र बन खड़े हैं
अपनें कर्तव्यों को है जाना नहीं
हिस्से में सब हिस्सेदार बन खड़े हैं
जिनके कामों में आगे रहे थे हम
आज मेरे लिए वो ही पीछे खड़े हैं
मुझे आगे बढ़ाने को सोचा नहीं
रोकने के लिए सब आगे खड़े हैं
कामों का सैलाब मेरे ऊपर रखा है
सभी की नज़रों में नौकर बन खड़े हैं
जिंदगी अब सवाल करती है मेरी
क्यों ये दिन तुम्हारे चिड़-चिड़े हैं
जिंदगी मेरी ही मुझसे कह रही है
हाँ अब हम तो तुम्हीं से डर पड़े हैं
शिवम अन्तापुरिया
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