_अब लैला का श्रंगार लिखूँ_
_या धरती का श्रंगार लिखूँ_
_अब पीढा़ की आवाज़ लिखूँ_
_या नदियों की मैं धार लिखूँ_
_इस मिट्टी का मैं स्वाद लिखूँ_
_या मधुशाला का स्वाद लिखूँ_
_ऋषियों का यशगान लिखूँ_
_या नेताओं का हास्य लिखूँ_
_भारत माँ का प्यार लिखूँ_
_या फ़िल्मों वाला प्यार लिखूँ_
_सैनिक का बलिदान लिखूँ_
_या फ़ुल्हड़ता का मान लिखूँ_
_अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
_क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...
_वीरों का प्रहार लिखूँ या_
_कायरों का आहार लिखूँ_
_कृषकों की पीड़ा मैं लिख दूँ_
_या नेताओं के रौब लिखूँ_
_पीड़िता की आवाज़ लिखूँ_
_या दुष्कर्मी का खौफ़ लिखूँ_
_हाथरस वाली घटना लिख दूँ_
_या प्रियंका की अावाज़ लिखूँ_
_अपराधी के अपराध लिखूँ_
_या अपराधी के सपने लिख दूँ_
_राजनीति का रूप लिखूँ या_
_जनता की चीत्कार लिखूँ_
_अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
_क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...
_सूर्य उदय पश्चिम में लिख दूँ_
_या झूठे मैं आख्यान लिखूँ_
_नारी का मैं कवच बनूँ या_
_कवच तोड़ का मान लिखूँ_
_उत्तर में रत्नाकर लिख दूँ_
_दक्षिण में हिमराज लिखूँ_
_झूठे-झूठे लाखों वादे लिख दूँ_
_या सच्चाई मैं एक लिखूँ_
_अपनी कलमधार से झूठ लिखूँ_
_या सच्चाई का प्रवाह लिखूँ_
_नारी का पर्दा मैं लिख दूँ या_
_अश्लीलता के चित्र लिखूँ_
_अब लेखनी का मैं दर्द लिखूँ_
_या उसका भी उपहास लिखूँ_
_सत्यमार्ग का गान लिखूँ या_
_डग्गामारू अभियान लिखूँ_
_अंतिम पंक्ति में कहता हूँ_
_मैं सच्चाई के साथ खड़ा हूँ_
_बस सच्चाई का सार लिखूँ_
_अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
_क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...
_शिवम अन्तापुरिया_
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