Friday, November 6, 2020

"क्या क्या क्या लिख दूँ"

_"क्या क्या क्या लिख दूँ"_* 

_अब लैला का श्रंगार लिखूँ_ 
 _या धरती का श्रंगार लिखूँ_ 
 _अब पीढा़ की आवाज़ लिखूँ_ 
 _या नदियों की मैं धार लिखूँ_ 
 _इस मिट्टी का मैं स्वाद लिखूँ_ 
 _या मधुशाला का स्वाद लिखूँ_ 
 _ऋषियों का यशगान लिखूँ_ 
 _या नेताओं का हास्य लिखूँ_ 
 _भारत माँ का प्यार लिखूँ_ 
 _या फ़िल्मों वाला प्यार लिखूँ_ 
 _सैनिक का बलिदान लिखूँ_ 
 _या फ़ुल्हड़ता का मान लिखूँ_ 

_अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
 _क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...

_वीरों का प्रहार लिखूँ या_ 
 _कायरों का आहार लिखूँ_ 
 _कृषकों की पीड़ा मैं लिख दूँ_ 
 _या नेताओं के रौब लिखूँ_ 
 _पीड़िता की आवाज़ लिखूँ_ 
 _या दुष्कर्मी का खौफ़ लिखूँ_ 
 _हाथरस वाली घटना लिख दूँ_ 
 _या प्रियंका की अावाज़ लिखूँ_ 
 _अपराधी के अपराध लिखूँ_ 
 _या अपराधी के सपने लिख दूँ_ 
 _राजनीति का रूप लिखूँ या_ 
 _जनता की चीत्कार लिखूँ_ 

  _अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
 _क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...

_सूर्य उदय पश्चिम में लिख दूँ_
_या झूठे मैं आख्यान लिखूँ_
_नारी का मैं कवच बनूँ या_
_कवच तोड़ का मान लिखूँ_
_उत्तर में रत्नाकर लिख दूँ_
_दक्षिण में हिमराज लिखूँ_
_झूठे-झूठे लाखों वादे लिख दूँ_
_या सच्चाई मैं एक लिखूँ_
_अपनी कलमधार से झूठ लिखूँ_
_या सच्चाई का प्रवाह लिखूँ_
_नारी का पर्दा मैं लिख दूँ या_ 
_अश्लीलता के चित्र लिखूँ_ 
_अब लेखनी का मैं दर्द लिखूँ_ 
_या उसका भी उपहास लिखूँ_ 
_सत्यमार्ग का गान लिखूँ या_
_डग्गामारू अभियान लिखूँ_
_अंतिम पंक्ति में कहता हूँ_
_मैं सच्चाई के साथ खड़ा हूँ_
_बस सच्चाई का सार लिखूँ_ 

_अब तुम्हीं बताओ सुनना_ ...
 _क्या है वो ही मैं आवाज़ लिखूँ_ ...


_शिवम अन्तापुरिया_

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