"सच्चा प्रेम विलक्षण"
हाँ प्रेम वही रहेगा सच्चा
बस किरदार बदल जाएँगे
तुम अपने घर में रोओगे
हम अपने घर में रोएँगे
प्रेम बहुत होता है विलक्षण
ये अब तक जाना है किसने
तुम अपने घर को जाओगे
हम अपने घर को जाएँगे
प्रेम पात्र के दोनों पुजारी
हैं सच्चे-सच्चे मन के
तुम मेरा रास्ता देखोगे
हम तेरा रास्ता देखेंगे
प्रेम नयन ये रहे तड़प हैं
अब तेरे मिलन के प्यासे हैं
तुम मुझे देखना चाहोगे
हम तुम्हें देखते रह जाएँगे
शिवम अन्तापुरिया
उत्तर प्रदेश
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