" अहमियत समझो सभी की "
ये जीवन बहुत ही अजीबो गरीब तरीके से पेश आता है आता है सभी की जिंदगी में
अब बात आती इसे कौन कैसे जीते है
यही कोई अभी 6 महीने ही बीते होंगे कि वो पल आजतक नहीं भूल पाया हूँ,
जब उसने अपनी उंगलियों को हिलाते हुए मुझसे कहा था कि चार-चार वो इशारे आजतक मेरी आँखों में सपने की भाँति तैर जाते हैं और मैं वहीं मुद्रा में लीन हो जाता हूँ अब मुझे तो नहीं पता है कि शायद ही उसे वो पल अब तक उसी लहज़े में याद हो ...
खैर कोई बात नहीं मुझे तो याद है
एक बात और सच है जीवन कि ये जिंदगी में अनजाने लोग अनजानी राह पर मिल जाते हैं और किसी के दिल में कुछ ऐसा छोड़ जाते हैं जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है ।
और वो बस कुछ ही अल्प समय में कल्प समय के लिए बेहद यादगार पलों के वो पौधों को जन्म दे जाते हैं जिनकी जिंदगी बहुत ही अनन्त होती है,
बहुत ही कम समय में ही वो अपनों से भी ज्यादा खास हो जाते हैं जिनका साथ अगर छूटने की नौबत आए तो ऐसा लगता है मानों शरीर से कोई आत्मा को लिर जा रहा है....
आज कल सोशल मीडिया का युग है मेरी भी मुलाकात बस उससे व्हाट्सएप के ग्रुप से ही हुई सिलसिला यूँ चला कि दोनों में बेचैनियाँ पनपने लगी एक दूसरे के बिन फ़िर क्या बेचैनियाँ सहना कौन चाहता है आजकल...
बस बेचैनियाँ खतम करने की जुगत के चक्कर में हम लोग राह भटक कर कहीं और ही आ गए थे जहाँ आना नहीं चाहिए था
फ़िर भी जहाँ आ गए थे वहाँ से लौटना बहुत ही मुश्किल था
फ़िर भी रातों दिन की जद्दोजहद के मैं अब तो सब बिल्कुल परेशान था लेकिन मैं उसे बताना नहीं चाहता था कुछ भी क्योंकि इसमें उसकी गलती जरा भी नहीं थी और मैं ऐसे मोड़ पर हूँ जहाँ से मेरे जर फ़ैसले मुझपर भारी पड़ सकते थे
लेकिन इसी कि कहते हैं सच्चा प्रेम जो अपने साथी ही हर बात को समझे न कि सिर्फ़ अपनी ही बातें उसके सामने रखता है जो उसने बहुत ही अच्छे से कर दिखाया है जिससे मैं खुश भी हूँ और अपने आप निराश क्योंकि शायद कमी मेरी ही थी मैं क्यों नहीं उसके योग्य था अभी फ़िर भी वो मुझे अपने योग्य कहकर मुझे अपनी कमियाँ महसूस नहीं होने देती है मैं क्यों नहीं उसको जितना अन्दर से प्रेम करता हूँ उतना ही ऊपरी सतह से प्रेम कर पा रहा हूँ...
लेखक
शिवम अन्तापुरिया
कानपुर उत्तर प्रदेश
सच्चाई न खोजें आप