Tuesday, September 15, 2020

!! जन्मा बेटा था !!

"बेटा जन्मा था"

जिस दिन बेटा जन्मा था उस 
दिन खुशियों के अरमान खिले 
जिस दिन बेटा बोला था उस 
दिन थे गुब्बारों के हार खिले 

बेटा-बेटा की आवाज़ों से 
सारा आँगन भर जाता था 
खेल कूद में ही सबका वो 
भारी सा दिन कट जाता था 

आज खिलौना खुद बनता है 
कल ये ही खेल खिलाएगा 
उसकी मधुरी-पैनी अावाज़ों से 
  जब सारा घर चहँचाएगा 

अब छोड़ बचपना चला गया 
उसके काजल के टीकों को 
बची-खुचीं जो बचीं हैं यादें 
अब सँजो रहा उन लम्हों को 

हो गया सयाना बेटा उनका 
अब करने लगा वो गलती हैं 
पिता-मात में प्रेम भरा था 
मिल जाती आसान ये माफ़ी हैं 

खुद का सुख खोकरके माँ ने
जिसको दुनियाँ दिखलाई थी 
आज वही लाडले बेटे ने हाँ 
अपनी जहरी जुबाँ चलाई थी 

भूल गया वो मान प्रतिष्ठा 
कर्ज़, फ़र्ज़ भी भूल गया 
मात-पिता के कर्मों पर भी 
वो था सारा पानी फ़ेर गया 

संस्कार शब्द वो भूल गया 
वो खुद में ही परिपूर्ण हुआ 
अब अपने ऐशो आरामों में 
वो था बेहद चकनाचूर हुआ 

उसे पता क्या ममताओं का 
  माँ पर बोझ भी होता है 
जरा-जरा सी हर बातों का 
बोझ भी माँ पर होता है 


शिवम अन्तापुरिया
   उत्तर प्रदेश

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