Sunday, October 24, 2021

कठिन नैया

" कठिन नैया "

जीवन की कठिन नैया का 
 बनता कोई पतवार नहीं  
मुश्किलों से घिरी हो जिंदगी 
तब होता कोई परिवार नहीं 

चारों तरफ़ हम हैं, तुम्हारे हैं 
ऐसे लगे मेले नज़र आते रहे 
जब मुश्किलों ने जकड़ा मुझे 
साफ़ चौराहे नज़र आने लगे 

ये जिंदगी के हर कदम पर 
मुश्किलों ने ही चाहा मुझे 
जिंदगी मरकर हँसने लगी 
तब लोगों ने सराहा मुझे 

~ शिवम अन्तापुरिया

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